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'रोहिंग्या की बढ़ती आबादी देश को मानवीय तबाही की ओर ले जा सकती है'

रोहिंग्या शरणार्थियों में जल-जनित और त्वचा रोग फैल रहे हैं। यह भी बताया गया है कि शरणार्थियों में कुछ पोलियो, टीबी और एचआईवी से भी ग्रसित हैं।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Wed, 20 Sep 2017 07:02 PM (IST)Updated: Wed, 20 Sep 2017 07:02 PM (IST)
'रोहिंग्या की बढ़ती आबादी देश को मानवीय तबाही की ओर ले जा सकती है'
'रोहिंग्या की बढ़ती आबादी देश को मानवीय तबाही की ओर ले जा सकती है'

कुआलालंपुर, आइएएनएस। म्यांमार से भागकर बांग्लादेश में शरण ले रहे रोहिंग्या चिंता का सबब बनते जा रहे हैं। देश के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के प्रमुख का कहना है कि शरणार्थियों के लिए स्थापित शिविरों में स्थिति खतरनाक होती जा रही है। आगे भी यही सिलसिला जारी रहा तो देश मानवीय तबाही की ओर बढ़ सकता है।

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बांग्लादेश एनएचआरसी के अध्यक्ष काजी रेज़ुल हक के अनुसार पिछले तीन हफ्तों में देश में तकरीबन चार लाख रोहिंग्या शरण ले चुके हैं। शरणार्थियों को आश्रय, भोजन, स्वच्छता और पीने के पानी जैसी हर तरह की मानवीय जरूरतों की जुगत में आ रही समस्याओं से जूझना पड़ा रहा है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में पहले से ही 32,000 पंजीकृत रोहिंग्या रह रहे हैं। रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए 2,000 एकड़ जमीन में शिविर तैयार किए गए हैं।

इसके बावजूद भी जिन शरणार्थियों को जगह नहीं मिल रही है वे रेलवे स्टेशन, बाजार यहां तक की सड़कों पर जीवन गुजारने को मजबूर हैं। 25 अगस्त के बाद देश में रोहिंग्या की संख्या लगभग 7 लाख तक पहुंच गई है।

बांग्लादेश एनएचआरसी के अध्यक्ष ने कहा कि रोहिंग्या अपने साथ बीमारी लेकर आ रहे हैं, जो स्थानीय निवासियों के बीच फैल सकती है। रोहिंग्या शरणार्थियों में जल-जनित और त्वचा रोग फैल रहे हैं। यह भी बताया गया है कि शरणार्थियों में कुछ पोलियो, टीबी और एचआईवी से भी ग्रसित हैं।

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