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Rohingya Refugee in Malaysia: जीवित हैं लापता रोहिंग्या रिफ्यूजी, मलेशियाई द्वीप की झाड़ियों में थे छिपे

2017 में म्यांमार से निकाले गए रोहिंग्या समुदाय के लोग मलेशिया पहुंच रहे हैं लेकिन कोरोना वायरस के मद्देनजर वहां भी सख्त पहरा है।

By Monika MinalEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 01:03 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 01:03 PM (IST)
Rohingya Refugee in Malaysia: जीवित हैं लापता रोहिंग्या रिफ्यूजी, मलेशियाई द्वीप की झाड़ियों में थे छिपे

कुआलांलपुर, रायटर्स। मलेशिया के रिसॉर्ट आइलैंड लांगकावी (Langkawi) के पास 26 रोहिंग्या शरणार्थी डूब गए थे। ये सभी पास के एक आइलैंड से जीवित मिले हैं। यह जानकारी तटरक्षक ने दी। ये सभी पाास के एक आइलैंड पर झाड़ियों में मिले। मलेशिया इन्हें शरणार्थी का दर्जा नहीं लेता है। मुस्लिम बहुल देश रोहिंग्या मुस्लिमों के लिए पसंदीदा जगह है। ये रोहिंग्या बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में हैं। 2017 में म्यांमार सेना के हमले के बाद ये आराम और शांतिपूर्ण जिंदगी के लिए दर-दर भटक रहे हैं। शनिवार देर शाम एक रोहिंग्या छोटे से नौका में लांगकावी के पश्चिम तट से आया जिसके बाद अधिकारियों का मानना था की बाकी उसके समूह के अन्य रोहिंग्या नागरिकों की डूबने से मौत हो गई होगी लेकिन बाद में सभी पास के आइलैंड में झाड़ी में छिपने का प्रयास करते हुए पाए गए।

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मलेशियाई समुद्री प्रवर्तन एजेंसी के महानिदेशक (director-general of the Malaysian Maritime Enforcement Agency,MMEA) ने लिखित संदेश में जानकारी दी। अधिकारियों ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया। दो और रोहिंग्या शरणार्थियों को संदिग्ध तस्करी मामले में गिरफ्तार कर लिया गया। तटरक्षक अधिकारी के अनुसार, ये शरणार्थी छोटे नौका में मलेशिया में घुसने का प्रयास कर रहे थे। कोरोना वायरस के कारण देश की अर्थव्यवस्था कमजोर हो गई है और इसलिए मलेशिया अब रोहिंग्या का प्रवेश रोकना चाहती है।

पिछले माह प्रधानमंत्री मुहयीद्दिन यास्सिन ने कहा था कि अब वे देश में किसी रोहिंग्या का प्रवेश नहीं चाहते हैं। पिछले माह मलेशिया ने 269 रोहिंग्या नागरिकों को गिरफ्तार कर लिया था जो क्षतिग्रस्त नौका के जरिए लांगकावी पहुंचे थे। मोहम्मद जुबिलमैट सोम ने बताया कि चार महीने तक नौका यात्रा के जरिए आने वाले दर्जनों रोहिंग्याओं की मौत हो गई होगी।

म्यांमार के रखाइन प्रांत में 2017 में सेना ने मुस्लिम रोहिंग्या अल्पसंख्यकों के खिलाफ अभियान चलाया था जिसके बाद रोहिंग्या को बाहर करने के लिए चलाया गया आतंक पैदा करने का अभियान था। मिली जानकारी के अनुसार, 7 लाख 40 हजार रोहिंग्या पड़ोसी देश बांग्लादेश चले गए और वहां के शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं।


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