शांति समझौते को पटरी पर लाने के लिए पोंपियो पहुंचे काबुल
गनी और अब्दुल्ला से मिल मतभेद दूर करने का प्रयास। शांति समझौते को लेकर हुई बातचीत।
रायटर, काबुल। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो सोमवार को अचानक अफगानिस्तान पहुंचे। उनकी यात्रा का उद्देश्य अमेरिका के तालिबान के साथ हुए समझौते को पटरी पर लाना है। जेल में बंद तालिबान कैदियों की रिहाई के सवाल पर इस समझौते में गतिरोध पैदा हो गया है। यह समझौता फरवरी में हुआ था।
पोंपियो सबसे पहले अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से उनके महल में जाकर मिले और हालात पर चर्चा की। इसके बाद उन्होंने गनी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्ला अब्दुल्ला से मुलाकात की। दोनों ही नेता खुद को अफगानिस्तान का असली नेता कहते हैं। सितंबर 2019 में हुए चुनाव को लेकर दोनों में मतभेद हैं।
दोनों के मतभेदों के चलते सरकार वह टीम गठित नहीं कर पा रही है जिसे तालिबान के साथ शांति प्रस्ताव पर बात करनी है। पोंपियो की यात्रा का मकसद इन दोनों नेताओं के मतभेदों को खत्म कराना है और उनके बीच तालमेल स्थापित करना है जिससे तालिबान के साथ हुआ शांति समझौता आगे बढ़ सके। एक अधिकारी ने कहा है कि अगर ये मतभेद दूर नहीं हुए तो उनका शांति समझौते पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
29 फरवरी को दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच हुए शांति समझौते में अफगान सरकार शामिल नहीं है। अब जमीन पर इस समझौते को उतारने के लिए अफगान सरकार और तालिबान के बीच वार्ता होनी है। इस वार्ता की सफलता के बाद ही अफगानिस्तान से विदेशी सैनिकों की वापसी होगी और शांति स्थापित होगी। अफगानिस्तान मामलों के अमेरिका के विशेष दूत जल्मे खलीलजाद समझौते के बाद अपना ज्यादातर समय काबुल में ही व्यतीत कर रहे हैं।
वह तालिबान को वार्ता की टेबिल पर लाने के लिए अफगान जेलों में बंद कैदियों की रिहाई तेज कराने के लिए प्रयासरत हैं। लेकिन कोरोना वायरस के प्रकोप ने रिहाई की प्रक्रिया में विघ्न डाला है। अफगानिस्तान में 40 से ज्यादा कोरोना के मरीज सामने आ चुके हैं। पड़ोसी ईरान में कोरोना का भयंकर प्रकोप जारी है। ऐसे में अफगान सरकार सीमित साधनों का इस्तेमाल कर नागरिकों को बचाने का प्रयास कर रही है।