ओआइसी की बैठक में पाक की नापाक कोशिश को मालदीव ने किया नाकाम, जानें क्या दिया जवाब
बैठक में मालदीव ने कहा कि सोशल मीडिया पर अलग-थलग पड़े समूहों और लोगों द्वारा व्यक्त की जाने वाली भावनाओं को भारत के 130 करोड़ लोगों की भावना नहीं बताया जा सकता।
न्यूयॉर्क, एएनआइ। मालदीव ने संयुक्त राष्ट्र में ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) की वर्चुअल बैठक में भारत के खिलाफ पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे दुष्प्रचार की हवा निकाल दी। बैठक में, पाकिस्तान ने अपने एजेंडे के तहत भारत में कथित रूप बढ़ते इस्लामोफोबिया को लेकर आरोप लगाए। उसका मकसद दुनिया में किसी न किसी तरह भारत को बदनाम करना है।
सोशल मीडिया पर कुछ लोगों की बातों को 130 करोड़ लोगों की भावना नहीं कहा जा सकता
इस पर बैठक में मालदीव ने कहा कि सोशल मीडिया पर अलग-थलग पड़े समूहों और लोगों द्वारा व्यक्त की जाने वाली भावनाओं को भारत के 130 करोड़ लोगों की भावना नहीं बताया जा सकता। संयुक्त राष्ट्र में मालदीव की स्थायी प्रतिनिधि थिलमीजा हुसैन ने कहा कि भारत के संदर्भ में इस्लामोबिया का आरोप लगाना तथ्यात्मक रूप से गलत होगा।
इस्लामोफोबिया का आरोप लगाना तथ्यात्मक रूप से गलत
उन्होंने कहा, मैं बता रही हूं कि भारत, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और बहु-सांस्कृतिक समाज है। यहां बीस करोड़ से अधिक मुसलमान रह रहे हैं। ऐसे में इस्लामोफोबिया का आरोप लगाना तथ्यात्मक रूप से गलत होगा। उन्होंने कहा कि यह दक्षिण एशियाई क्षेत्र में धार्मिक सद्भाव के लिए ऐसा करना हानिकारक होगा। इस्लाम भारत में सदियों से मौजूद है और यह देश का 14.2 फीसद आबादी के साथ भारत में दूसरा सबसे बड़ा धर्म है।
पाकिस्तान में भारत के खिलाफ चल रहा है दुष्प्रचार
उल्लेखनीय हाल के दिनों में पाकिस्तान स्थित कई सोशल मीडिया हैंडल ने भारत में मुसलमानों के लिए 'कोई जगह नहीं' होने की बात का दुष्प्रचार शुरू किया है। पाकिस्तान ने भारत में इस्लामोफोबिया बढ़ने का दावा भी किया है। भारत इसे पाकिस्तान द्वारा भारत और अरब बिरादरी के रिश्तों में खटास डालने की साजिश के रूप में देखता है।
थिल्मिजा हुसैन ने आगे कहा कि दुनिया ने घृणा, पूर्वाग्रह और नस्लवाद की संस्कृति में एक खतरनाक वृद्धि देखी है। राजनीतिक और अन्य विचारधाराओं / एजेंडों को बढ़ावा देने के लिए हिंसा के रूप में हिंसा का इस्तेमाल किया गया है। मालदीव दुनिया में कहीं भी इस तरह के कार्यों के खिलाफ मजबूती से खड़ा है। जिसमें राजनीतिक या किसी अन्य एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए इस्लामोफोबिया, ज़ेनोफ़ोबिया या किसी भी तरह की हिंसा शामिल है।