भारतीय क्षेत्रों को अपना बताने से बाज नहीं आ रहे ओली, बोले- लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा नेपाल के अभिन्न अंग
नेपाल के प्रधानमंत्री ने कहा कि हम इस स्थिति में नहीं हैं कि भारत या चीन के किसी क्षेत्र पर अपना दावा कर सकें लेकिन हम अपने दोस्तों से अपनी जमीन के लिए दावा कर सकते हैं। लिपुलेख काला पानी और लिंपियाधुरा नेपाल के क्षेत्र हैं।
काठमांडू, प्रेट्र। नेपाल के विदेश मंत्री की नई दिल्ली यात्रा से दो दिन पहले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने फिर दोहराया है कि लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा नेपाल के अभिन्न अंग हैं। हम भारत या चीन किसी के भी साथ वार्ता में अपनी संप्रभुता के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं कर सकते। उन्होंने सीधे कहा है कि भारत के कुछ तत्व उनको प्रधानमंत्री पद से हटाने के लिए षड़यंत्र रच रहे हैं। उन्होने नेपाल की आंतरिक राजनीति में चीन का हाथ होने से इन्कार किया।
नेपाल के प्रधानमंत्री ने कहा कि हम इस स्थिति में नहीं हैं कि भारत या चीन के किसी क्षेत्र पर अपना दावा कर सकें, लेकिन हम अपने दोस्तों से अपनी जमीन के लिए दावा कर सकते हैं। लिपुलेख, काला पानी और लिंपियाधुरा नेपाल के क्षेत्र हैं और ये तीनों ही क्षेत्र हमारे लिए पवित्र हैं। ओली का बयान ऐसे समय में आया है जब 14 जनवरी से नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत की यात्रा पर आ रहे हैं। यहां उनकी द्विपक्षीय मुद्दों पर वार्ता होनी है। नेपाली प्रधानमंत्री रविवार को कह चुके हैं कि वार्ता में भारत से सीमा विवाद पर बात होगी।
ज्ञात हो कि पिछले साल नेपाल ने एक विवादित नक्शा जारी करते हुए भारत के हिस्से को अपना बताया था, जिस पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। टीवी चैनल के अनुसार नेपाली प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि 2021 में हम चाहते हैं कि नेपाल और भारत के बीच कोई समस्या न रहे। उन्होंने भारत और चीन के मतभेदों को दूर करने के लिए मध्यस्थता करने की भी पेशकश की है।
नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता का ठीकरा उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी के दूसरे धड़े के नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड पर फोड़ा। सरकार भंग करने के निर्णय को उन्होंने सही ठहराया और कहा कि इससे देश में स्थिरता का माहौल बनेगा।