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Sri Lanka Crisis: श्रीलंका के नए पीएम विक्रमसिंघे के सामने आने वाली हैं कई बड़ी समस्‍याएं, जानें- कौन सी है सबसे विकराल

श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को ऐसे समय में देश की बागडोर संभालनी पड़ रही है जब देश के राजनीतिक और आर्थिक हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। लोगों में गुस्‍सा है क्‍योंकि उनको खाने पीने की चीजें तक नहीं मिल पा रही हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 13 May 2022 04:32 PM (IST)Updated: Fri, 13 May 2022 10:23 PM (IST)
Sri Lanka Crisis: श्रीलंका के नए पीएम विक्रमसिंघे के सामने आने वाली हैं कई बड़ी समस्‍याएं, जानें- कौन सी है सबसे विकराल
श्रीलंका के पीएम के सामने हैं कई बड़ी चुनौतियां

नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं। उन्‍होंने ऐसे समय में देश की बागडोर संभाली है जब देश में अराजकता व्‍याप्‍त है। देश की पूर्व राजपक्षे सरकार को लेकर लोगों में गुस्‍सा उफान पर है। वहीं देश की माली हालत इस कदर खराब हो चुकी है कि इसका कुछ समय के अंदर ही समाधान हो जाएगा ये कहपाना काफी मुश्किल है। हालांकि, विक्रमसिंघे श्रीलंका में बड़े कद के नेता होने के साथ पहले भी प्रधानमंत्री पद संभाल चुके हैं। जानकार मानते हैं कि वो एक ऐसा चेहरा हैं जो फौरी तौर पर राहत दिलाने में कामयाब हो सकते हैं। 

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विक्रमसिंघे के अलावा कोई दूसरा विकल्‍प नहीं 

आब्‍जरवर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर हर्ष वी पंत का कहना है कि राष्‍ट्रपति गोटाबाया के सामने विक्रमसिंघे के अलावा दूसरा कोई विकल्‍प नहीं था। विक्रमसिंघे पश्चिमी देशों के समर्थक माने जाते हैं। इसलिए वो आईएमएफ से कर्ज को लेकर चल रही बातचीत में भी एक बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं। देश में मौजूदा समय में एक स्थिर सरकार के अलावा एक ऐसा व्‍यक्ति सत्‍ता के शीर्ष पर होना जरूरी है कि जिससे वित्‍तीय संस्‍थान बात कर कर्ज के नियमों को तय कर सकें। इसके अलावा विक्रमसिंघे भारत को लेकर भी सकारात्‍मक रवैया रखते हैं। 

घरेलु समस्‍या को हल करना सबसे बड़ी चुनौती

प्रोफेसर पंत का कहना है‍ कि विक्रमसिंघे के सामने सबसे बड़ी चुनौती घरेलु समस्‍या को हल करना है। पंत मानते हैं यदि श्रीलंका को विदेशी संस्‍थानों से कर्ज मिल भी जाता है तो भविष्‍य में उसको चुकाने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। विदेशी संस्‍थान या पश्चिमी देश श्रीलंका को बड़े कदम उठाने होंगे। कई कर लगाए जा सकते हैं या मौजूदा करों को ही बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा कई ऐसे कदम भी उठाने पड़ सकते हैं जो लोगों को नागवार गुजरें। ऐसे में विक्रमसिंघे को लोगों से आने वाले विपरीत प्रतिक्रिया का सामना भी करना पड़ेगा। 

56 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज

बता दें कि श्रीलंका के ऊपर 56 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है। करीब दो अरब डॉलर श्रीलंका को केवल इसका ब्‍याज चुकाने के लिए ही चाहिए। यदि समय पर ब्‍याज अदायगी न हुई तो जुलाई में उसको डिफाल्‍टर घोषित किया जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो श्रीलंका के लिए स्थिति बेहद नाजुक हो जाएगी। वहीं श्रीलंका आईएमएफ से करीब 4 अरब डॉलर के कर्ज को लेकर बातचीत कर रहा है। लेकिन, श्रीलंका की समस्‍या केवल इससे सही नहीं होने वाली है। 

आइएमएफ कर्ज दे सकता है तुरंत राहत

प्रोफेसर पंत के मुताबिक यदि आईएमएफ श्रीलंका को कर्ज देने के लिए राजी हो जाता है तो ये फौरी तौर पर उसको राहत जरूर दे सकता है। इसके बाद श्रीलंका को कुछ रास्‍ता खुद तय करना होगा। हालांकि ये इतना आसान नहीं है, लेकिन मौजूदा समय में उसके लिए यह भी एक बड़ा सहयोग होगा। 


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