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कोरोना वायरस से निपटना है तो पार्टी हितों को किनारे रखें : पोप फ्रांसिस

पोप फ्रांसिस ने दुनियाभर के राजनेताओं से पार्टी हितों को किनारे रखकर कोरोना वायरस संकट का मिलकर मुकाबला करने की अपील की है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 20 Apr 2020 07:16 PM (IST)Updated: Mon, 20 Apr 2020 07:16 PM (IST)
कोरोना वायरस से निपटना है तो पार्टी हितों को किनारे रखें : पोप फ्रांसिस
कोरोना वायरस से निपटना है तो पार्टी हितों को किनारे रखें : पोप फ्रांसिस

वेटिकन सिटी, रायटर। पोप फ्रांसिस ने दुनियाभर के राजनेताओं से पार्टी हितों को किनारे रखकर कोरोना वायरस संकट का मिलकर मुकाबला करने की अपील की है। उन्होंने सोमवार सुबह प्रार्थना के दौरान यह अपील की। इटली में कोरोना का संक्रमण फैलने के बाद से पोप की सुबह की प्रार्थना का टीवी पर लाइव प्रसारण किया जा रहा है। पोप हर दिन प्रार्थना के दौरान किसी न किसी विषय पर बोलते हैं, साथ ही उन लोगों को धन्यवाद देते हैं जो चिकित्सा और अन्य आवश्यक सेवाओं से जुड़े हैं। 

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सोमवार सुबह की प्रार्थना में राजनीतिक दलों से की अपील

पोप ने कहा, 'आज हम उन लोगों के लिए प्रार्थना करते हैं जो राजनीति से जुड़े हैं। दान का एक उच्च रूप राजनीति है। हम विभिन्न देशों के राजनीतिक दलों के लिए प्रार्थना करते हैं कि वे महामारी के इस दौर में देश की भलाई के लिए काम करें और पार्टी हितों को फिलहाल किनारे रखें।' पोप ने हालांकि इस दौरान किसी भी देश या राजनीतिक दल का नाम नहीं लिया।

इससे पहले उन्होंने रविवार को प्रार्थना के दौरान कहा था, महामारी खत्म होने के बाद हमें सभी लोगों को एक साथ लेकर चलना होगा। कोरोना की जंग जीते लोगों को अगर हमने छोड़ दिया तो यह स्थिति महामारी से भी बदतर होगी। संक्रमण फैलने के डर से पोप फ्रांसिस की सुबह की प्रार्थना के दौरान सिर्फ कुछ सहयोगी ही मौजूद रहते हैं।

विश्‍व के नेता राजनीतिक मतभेदों को दूर रखें 

पोप ने पिछले दिनों वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल के दौरान विश्व के नेताओं से राजनीतिक मतभेदों को दूर रखने और महामारी के मद्देनजर वैश्विक संघर्ष विराम की अपील करते हुए विभिन्न देशों से अपनी सेनाएं वापस बुला लेने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा था कि 'यह आपस में बंटे रहने का वक्त नहीं है।'

गरीब देशों का कर्ज माफ करें 

पोप ने महामारी का सामना कर रहे गरीब देशों का कर्ज माफ कर देने या उनमें कमी करने की भी अपील की। उन्होंने सेंट पीटर के बैसीलिका (खुले प्रांगण) से कहा, 'सभी राष्ट्र यदि गरीब देशों के कर्ज माफ नहीं कर सकते हैं तो कम से कम उनके कर्ज के बोझ में कमी करने की स्थिति में तो जरूर होंगे।'


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