अफगानिस्तान में तालिबान अधिग्रहण के बाद मीडिया समेत पत्रकारों ने खोई स्वतंत्रता: रिपोर्ट
अगस्त के मध्य में अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के बाद से देश में मीडिया और पत्रकारों ने अपनी स्वतंत्रता खो दी है। तालिबान के अधिकारी मीडिया के न्यूजरूम में जाते हैं और पत्रकारों से अपने पक्ष में कहानियां कवर करने को कहते है।
काबुल, एएनआइ। अफगानिस्तान के स्थानीय मीडिया ने बताया कि अगस्त के मध्य में तालिबान के नियंत्रण के बाद से देश में मीडिया और पत्रकारों ने अपनी स्वतंत्रता खो दी है। खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सोमवार को द होम आफ फ्रीडम आफ स्पीच ने एक बयान में तालिबान के अधिग्रहण के बाद से मीडिया, अफगान पत्रकारों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मीडिया की स्वतंत्रता की स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की है। होम ने बयान में कहा कि अफगानिस्तान में मीडिया और पत्रकारों ने अपनी स्वतंत्रता खो दी है और उन्हें काबुल में तालिबान के वास्तविक अधिकारियों द्वारा व्यवस्थित रूप से सेंसर कर दिया गया है।
मीडिया को प्रचार का माध्यम बना रहा तालिबान
खामा प्रेस ने होम के बयान का हवाला देते हुए बताया कि अफगानिस्तान में सेंसरशिप की अलग जड़ें हैं और यह जड़ें ज्यादातर इस्लामिक अमीरात आफ अफगानिस्तान (आइइए) की हैं। अफगान मीडिया और पत्रकारों पर आईईए के इंटेलिजेंस अधिकारियों द्वारा अभूतपूर्व दबाव डाला गया है। आईईए मीडिया को अपने प्रचार के माध्यम के रूप में बदलना चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि आईईए इंटेलिजेंस कुछ हद तक ऐसा करने में सफल रहा है। इसके लिए वह विभिन्न तरीकों जैसे धमकाने, बल और दबाव का उपयोग कर रहे हैं।
न्यूजरूम में पत्रकारों को धमका रहा तालिबान
खामा प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक द होम आफ फ्रीडम आफ स्पीच ने दावा किया है कि तालिबान के अधिकारी मीडिया के न्यूजरूम में जाते हैं और पत्रकारों से अपने पक्ष में कहानियां कवर करने को कहते है। वह पत्रकारों से कहते है कि वह तालिबान के शासन में रहते हैं तो उन्हें तालिबान के पक्ष में ही बोलना होगा। इसमें आगे कहा गया है कि अधिकांश प्रमुख पत्रकार तालिबान का प्रचार नहीं करना चाहते इसलिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी है। होम आफ फ्रीडम आफ स्पीच ने आईईए से मीडिया को सेंसर न करने और अफगान पत्रकारों पर दबाव न डालने के लिए कहा है। होम ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया अधिवक्ताओं से भी पत्रकारों के जीवन की रक्षा करने को कहा है।