ड्रैगन के लिए पूर्वी चीन सागर में परेशानी का सबब बनने वाला है जापान और उसकी नई मिसाइल
जापान दक्षिण पश्चिम ओकीनावा द्वीप की सुरक्षा के लिए एक लंबी दूरी की एंटी शिप मिसाइल विकसित करेगा। चीन के खतरे को देखते हुए जापान ने ये फैसला लिया है। आपको बता दें कि चीन इस द्वीप पर अपना हक जताता है।
टोक्यो (रॉयटर्स)। चीन के लिए हर तरफ से परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। पहले से ही चीन भारत की बढ़ती सैन्य क्षमता और उसके करीब आते देशों की वजह से चिंतित है और अब जापान ने भी उसकी चिंता को बढ़ाने का काम कर दिया है। जापान ने घोषणा की है कि वो एक ऐसी एंटी शिप मिसाइल को विकसित करेगा जो दुश्मन के जंगी जहाजों पर काफी दूरी से सटीक निशाना लगाने में सक्षम होगी। इतना ही नहीं जापान ने ये भी कहा है कि वो इस मिसाइल को ओकीनामा द्वीप के दक्षिण-पश्चिम की सुरक्षा के लिए तैयार करने वाला है। आपको बता दें कि पूर्वी चीन सागर में स्थित इस द्वीप पर चीन भी अपना हक जताता है। इसको लेकर कई बार चीन ने आक्रामक रुख भी अपनाया है। चीन ने कहा है कि इस द्वीप के दक्षिण पश्चिम में उसके लिए लगातार सुरक्षा की चुनौतियां बढ़ रही हैं।
इसके अलावा जापान 19 दिसंबर को नई जनरेशन का मल्टी मिशन जंगी जहाज भी लॉन्च करने वाला है जो समुद्र में उसकी सुरक्षा की दीवार को मजबूती प्रदान करेगा। इसको जापान की मित्शुबिशी हैवी इंडस्ट्री और मितसुई इंजीनियरिंग एंड शिपबिल्डर ने तैयार किया है। इस 30FFM जंगी जहाज का निर्माण वर्ष 2018 में शुरू हुआ था। इस तरह के 20 जहाज जापान को तैयार करने हैं जिनके लिए 2032 तक का लक्ष्य रखा गया है। इनमें से आठ पर काम चल रहा है। हर एक साल में दो जहाजों को पूरा किया जाना है। इस जहाज में रॉल्स रॉयस का गैस टरबाइन और दो MAN डीजल इंजन लगे हैं। ये इसको 30 नॉट्स की रफ्तार देते हैं।
चीन के रुख को देखते हुए जापान ने इस कवायद को जरूरी बताया है। जापान के रक्षा मंत्री नोबूओ किशी ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि जापान सही समय आने पर सही तरह से जवाब देगा। उनके मुताबिक ये एंटी शिप मिसाइल जापान की रणनीतिक ताकत को और मजबूत करेगी, जिसको एंटी एक्सेस एरिया डिनाइल (A2AD) भी कहते हैं। इसका अर्थ है अपनी समुद्री सीमा में दुश्मन के जहाजों की खुली आवाजाही पर रोक लगाना और इस पर कड़ी निगाह रखना। इस रणनीतिक बढ़त के दम पर इस काम को और अधिक सटीकता से किया जा सकेगा।
जापान की तरफ से ये भी कहा गया है कि वो अपने दो नए जंगी जहाजों पर पुराने एजीस रडार सिस्टम की जगह नए और ताकतवर सिस्टम को लगाने पर विचार कर रहा है जो पुराने सिस्टम से करीब तीन गुना अधिक क्षमता वाला है। ये नया सिस्टम जापान को उत्तर कोरिया की तरफ से छोड़ी जाने वाली बैलेस्टिक मिसाइल की सटीक जानकारी देसकेगा। कहा जा रहा है कि जापान की मिसाइल चीन के क्षेत्रों को भी निशाना बनाने में सक्षम होगी साथ ही ये उत्तर कोरिया से छोड़ी जाने वाली किसी भी तरह की बैलेस्टिक मिसाइल को भी नष्ट कर सकेगी।
आपको बता दें कि चीन की सीमा दुनिया के 14 देशों से मिलती है। इन सभी से चीन का सीमा विवाद है। ताइवान को चीन पूरी तरह से अपना हिस्सा मानता है। वहीं दक्षिण चीन सागर को लेकर वो काफी आक्रामक है और पूरी दुनिया के खिलाफ खड़ा हुआ है। इस क्षेत्र से सबसे अधिक समुद्री व्यापार किया जाता है। इसके अलावा इस पूरे क्षेत्र को प्राकृति संसाधनों के लिए काफी अहम माना जाता है। यहां पर प्राकृतिक गैस का बड़ा भंडार है। इस क्षेत्र में चीन ने समुद्र से रेत निकालकर कई द्वीप बनाए हैं जिनपर उसने सैन्य क्षमता को बढ़ाने के लिए कई निर्माण भी किए हैं।