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क्या है रोहिंग्याओं का टेरर कनेक्शन

म्यांमार की सरकार और सेना अपने ही देश के रखाइन प्रांत में रहने वाले रोहिंग्याओं को अपना नागरिक नहीं मानती है। आइए जानते हैं क्या है रोहिंग्याओं का टेरर कनेंक्शन...

By Digpal SinghEdited By: Published: Thu, 21 Sep 2017 03:17 PM (IST)Updated: Thu, 21 Sep 2017 05:38 PM (IST)
क्या है रोहिंग्याओं का टेरर कनेक्शन
क्या है रोहिंग्याओं का टेरर कनेक्शन

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। म्यांमार की सरकार और सेना अपने ही देश के रखाइन प्रांत में रहने वाले रोहिंग्याओं को अपना नागरिक नहीं मानती है। रोहिंग्याओं को म्यांमार से भगाया जा रहा है। सरकार और सेना उन पर आतंकवादी होने का आरोप लगा रही है। भारत ने भी रोहिंग्याओं शरणार्थियों को लेकर इसी तरह की आशंका जाहिर की है। आइए जानते हैं क्या है रोहिंग्याओं का टेरर कनेंक्शन...

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क्या सच में आतंकवादी हैं रोहिंग्या

दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुजीत कुमार बताते हैं कि रोहिंग्या आतंकवादी नहीं हैं। जब उन पर अत्याचार हुए, सेना ने उनका दमन किया तो अराकान रोहिंग्या सैल्वेशन आर्मी नाम (ARSA) से एक संगठन का जन्म हुआ। इस संगठन ने सेना के दमन के खिलाफ हथियार उठाए। इन्हीं लोगों ने म्यांमार की आर्मी पर हमला किया, जिसमें 12-13 सैन्यकर्मी मारे गए। यही नहीं एआरएसए ने अपने इस कृत्य की जिम्मेदारी भी ले ली। इसके बाद म्यांमार की आर्मी ने इन पर कार्रवाई और तेज कर दी, जिसकी वजह से अब उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ रहा है। 

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डॉ. सुजीत भी मानते हैं कि एआरएसए ने सेना के खिलाफ हड़बड़ी में कदम उठाया । वे कहते हैं कि यह भी कुछ मुट्ठीभर लोग ही हैं। किसी भी समाज में कुछ उपद्रवी तत्व तो होते ही हैं, लेकिन उनकी वजह से पूरे समाज को आतंकवादी घोषित करना ठीक नहीं है। हालांकि उन्होंने रोहिंग्याओं को भारत में शरण देने को लेकर भारत सरकार की चिंता को भी जायज ठहराया।


श्रीलंका में तमिल समस्या जैसा म्यांमार का रोहिंग्या विवाद

उन्होंने बताया कि म्यांमार की रोहिंग्या समस्या श्रीलंका की तमिल समस्या जैसी ही है। जिस तरह से श्रीलंका में तमिलों पर अत्याचार हुए, जिस तरह से उन्हें नागरिक अधिकार नहीं दिए गए। उसी तरह से म्यांमार में भी रोहिंग्याओं को नागरिक अधिकारों से महरूम रखा गया है। जहां तक भारत की बात है तो यूएन के अनुसार 16500 रोहिंग्या भारत में रहते हैं, जबकि भारत सरकार के अनुसार 40000 रोहिंग्या रह रहे हैं।

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क्या है इस समस्या का समाधान

पूर्व संयुक्त राष्ट्र अध्यक्ष कोफी अन्नान की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी थी, जिसने कहा था कि रोहिंग्याओं को जल्द से जल्द म्यांमार की नागरिकता मिले और अधिकार दिए जाएं। कोफी अन्नान ने म्यांमार सरकार को उस समय कहा भी कि रोहिंग्याओं को नागरिकता देने में आप जानबूझकर देरी कर रहे हैं। उन्होंने इस प्रोसेस को तेज करने की बात कही थी। डॉ. सुजीत कुमार ने बताया कि भारत सरकार भी रखाइन में ही छोटे-छोटे पावर प्रोजेक्ट आदि में निवेश करने जा रही है, जिससे वहां पर रोजगार पैदा होंगे। इस तरह से रोहिंग्याओं को नागरिकता देने में तेजी लाने और रखाइन में निवेश व रोजगार के मौके बढ़ाकर इस समस्या से निजात मिल सकती है।

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