भारत की ही तरह संयुक्त राष्ट्र में सुधारों के समर्थक हैं वोल्कान, यूएनजीए के 75वें सत्र के हैं अध्यक्ष
संयुक्त राष्ट्र की आम महासभा के 75वें सत्र के अध्यक्ष के तौर पर तुर्की के वोल्कान बड़ी भूमिका में सामने आने वाले हैं। वो भी यूएन में सुधारों के समर्थक हैं।
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र आम महासभा के 75वें सत्र के अध्यक्ष की भूमिका इस बार तुर्की के राजनयिक वोल्कान बोजकिर के पास है। वे ऐसे समय में इसकी भूमिका अदा कर रहे हैं जब पूरा विश्व कोविड-19 महामारी से जूझ रहा है और पूरी दुनिया की काट के लिए वैक्सीन बनाने में जुटी है। वोल्कान अनुभवी जनसेवक के अलावा यूरोपीय मामलों में मंत्री भी रह चुके हैं। जनसेवा और राजनयिक सेवा में उन्हें पांच दशकों का अनुभव है। उन्हें दो माह पूर्व ही इस सत्र के अध्यक्ष के तौर पर चुन लिया गया था। उन्हें इसके लिए भारी समर्थन भी हासिल हुआ था।वोल्कान भी भारत की ही तरह यूएन में सुधारों का समर्थन करते हैं। अब जबकि इस सत्र की शुरुआत होने वाली है तो उन्होंने अपनी उस जिम्मेदारी के बारे में अपने विचार यूएन न्यूज को दिए एक इंटरव्यू के माध्यम से साझा किए हैं। गौरतलब है कि यूएन महासभा के 74वें सत्र की अध्यक्षता नाइजीरिया के तिजानी मोहम्मद बांडे ने की थी।
वोल्कान का कहना है कि कोविड-19 से मुकाबला सभी के लिए एक प्राथमिकता है। इसलिए उन्होंने भी यही विषय इस सत्र के लिए चुना है। हालांकि इसमें उन्होंने कुछ चीजों को जोड़ा भी है। जैसे जो भविष्य हम चाहते हैं, जैसा संयुक्त राष्ट्र हमें चाहिए आदि। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी वर्तमान में सभी वैश्विक संस्थाओं को चुनौती दे रही है। इसलिए पूरी दुनिया का कर्तव्य है कि वो एकजुट होकर इसका सामना करे और वैश्विक स्तर पर प्रभावी कार्रवाई की जाए।
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में इस सत्र के मायने के बारे में जब वोल्कान से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र वैश्विक शांति के मकसद को लेकर अस्तित्व में आया था। इसके अस्तित्व में आने के बाद कोविड-19 जैसे किसी संकट का मुकाबला भी हम पहली बार कर रहे हैं। इसने दुनिया के सामने सामाजिक और आर्थिक संकट भी खड़ा किया है। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र की चुनौतियां बढ़ गई हैं। उनका कहना था कि इस लड़ाई में पूरी मानवता एक साथ खड़ी है। पूरी दुनिया के सामने ये चुनौती तो है लेकिन जन-कल्याण के लिए एकजुट होकर काम करने का इससे बेहतर अवसर और वजह कोई दूसरी नहीं हो सकती है। ये एक ऐसी बीमारी है जिसमें सभी को सुरक्षित किए बिना हम सुरक्षित नहीं रह सकते हैं। इस दौरान यूएन के लक्ष्यों को पाने के लिए 2030 के एजेंडे पर काम किया जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र से जुड़े सुधारों के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह पीछे मुड़कर अपनी उपलब्धियों को देखने का एक अनूठा अवसर है। साथ ही उन उपलब्धियों को लेकर और उनसे सबक लेकर वर्तमान में बहुपक्षवाद और संयुक्त राष्ट्र के सामने मौजूद चुनौतियों से निपटने का भी समय है। उन्होंने इस बात को माना है कि अपने मकसद को पूरा करने और अपनी प्रासंगिकता को बनाए रखने के लिए इसमें सुधार की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में सुधार के एजेंडे और शांति व सुरक्षा, विकास व प्रबंधन के क्षेत्रों में जो व्यापक बदलाव हमने देखे हैं जिनका वो खुद भी समर्थन करते हैं। वो इसको संयुक्त राष्ट्र परिवार को अधिक एकजुट और सुसंगत बनाने के लिए एक बेहतर कदम मानते हैं।
वोल्कान का कहना है कि वैश्विक चुनौतियां और संकट समाज के सबसे कमजोर व्यक्तियों और देशों पर सबसे बुरा असर डालते हैं। इसलिए ऐसे लोगों को यह विश्वास दिलाना जरूरी है कि यहां पर उनकी परेशानियां सुनी जा रही हैं और उनको लेकर आवाज भी उठाई जा रही है। उनके मुताबिक उन्होंने इन लोगों की आवाज और उनके मुद्दों को चर्चा में शामिल करने और इन्हें सुलझाने की दिशा में काम करने का संकल्प लिया है।
वर्ष 2020 महिलाओं के अधिकारों के लिये एक महत्वपूर्ण वर्ष है। ऐसे में महिलाओं और लड़कियों का सशक्तिकरण सुनिश्चित करने के लिये क्या कार्रवाई करेंगे? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अब तक जो दस्तावेजी सुबूत सामने आए हैं उनसे पता चला है कि लैंगिक समानता से शांति और समृद्धि के हालात बेहतर होते हैं। महिलाओं को अक्सर सभ्य काम, समान वेतन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल की उपलब्धता कम होती है। वे हिंसा और भेदभाव से पीड़ित होती हैं और अक्सर राजनैतिक व आर्थिक निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में उनका प्रतिनिधित्व कम रहता है। वहीं दूसरी तरफ कोविड-19 महामारी ने उन प्रगति पर भी ब्रेक लगाने की कोशिश की है जिसमें काफी हद तक हम कामयाब हो चुके थे। महिलाओं को उनका हक दिलाने की बड़ी जिम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र के कंधों पर है। उनका कहना है कि अपनी टीम बनाते समय उन्होंने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि इसमें महिलाओं को वाजिब जगह मिले। उन्होंने कहा कि वो ये सुनिश्चित करेंगे कि शांति और सुरक्षा, मानवाधिकारों, मानवीय मुद्दों और सतत विकास के लिये काम करते समय लैंगिक समानता का ध्यान रखा जाए।
सार्वजनिक सेवा में रुचि को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में वोल्कान का कहना था कि एक राजनयिक और राजनीतिज्ञ के रूप में उन्होंने पांच दशक का लंबा सफर तय किया है और ये उनके लिए गर्व की बात है। यूएन के 75वे सत्र का अध्यक्ष चुना जाना भी उनके लिए वैसा ही गौरवांवित करने वाला पल है। यहां पर संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों की सेवा करने का मौका मिला है। संयुक्त राष्ट्र से बेहतर इसके लिए कोई और जगह नहीं हो सकती है।
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