इंडोनेशिया में हलाल और हराम के बीच फंसी कोरोना वायरस वैक्सीन, राष्ट्रपति ने आगाह किया
इंडोनेशियाई राष्ट्रपति ने कहा कि एक कट्टर इस्लामिक राष्ट्र में 27 करोड़ लोगों को टीका लगाना एक चुनौती पूर्ण लक्ष्य है। राष्ट्रपति ने वैक्सीन के जल्दबाजी के खिलाफ स्पष्ट चेतावनी दी है। उन्होंने इस्लाम के तहत टीके को हलाल के बारे में स्पष्ट सार्वजनिक संदेश भेजने का आग्रह किया है।
जकार्ता, एजेंसी। दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम-बहुल राष्ट्र इंडोनेशिया ने इस्लामिक मूल्यों के मद्देनजर कोरोना वैक्सीन पर जल्दबाजी नहीं करने का निर्णय लिया है। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने कहा कि कोरोना वैक्सीन को लेकर हम कतई जल्दबाजी में नहीं हैं। बता दें कि इंडोनेशियाई राष्ट्रपति का बयान ऐसे समय आया है, जब नवंबर महीने में कोरोना वक्सीन को देश में लगाया जाना था। बता दें कि इंडोनेशिया में कोरोना वायरस के 365,000 से अधिक मामले सामने आए हैं। देश में अब तक 12,000 से अधिक मौत हो चुकी है।
इंडोनेशिया ने पहले साल 10 करोड़ से अधिक लोगों को टीका लगाने का वादा किया था, लेकिन सोमवार को इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने कहा कि एक कट्टर इस्लामिक राष्ट्र में 27 करोड़ लोगों को टीका लगाना एक चुनौती पूर्ण लक्ष्य है। राष्ट्रपति ने वैक्सीन के जल्दबाजी के खिलाफ स्पष्ट चेतावनी दी है। उन्होंने इस्लाम के तहत टीके को हलाल के बारे में स्पष्ट सार्वजनिक संदेश भेजने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि टीकाकरण के पहले मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि इसकी तैयारी पूरी कर ली गई हो। विशेष रूप से हलाल और हराम, मूल्य और गुणवत्ता के संबंध में। बता दें कि देश में इसके पूर्व भी इस बात पर विवाद रहा है कि क्या इस्लामिक सिद्धांत सार्वजनिक स्वास्थ्य से ऊपर रहा है। वर्ष 2018 में इंडोनेशिया उलेमा काउंसिल ने एक फतवा जारी कर खसरे के टीके को हराम घोषित किया था। इस्लाम में इसके लिए मना किया गया था।
बता दें कि इंडोनेशिया में विदेश मंत्री कोरोना वायरस वैक्सीन सौदों को सुरक्षित करने के लिए ब्रिटेन और स्विट्जरलैंड गए थे। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य द्विपक्षीय टीका सहयोग के ढांचे के भीतर COVID-19 टीकों के लिए अन्य स्रोतों से प्रतिबद्धताओं को हासिल करना शामिल था। वर्तमान में इंडोनेशिया चीन और दक्षिण कोरिया के साथ वैक्सीन विकास सहयोग पर काम कर रहा है।