चार दिन से फ्रैंकफर्ट हवाई अड्डे पर फंसी भारतीय महिला ने मांगी मदद
भारतीय महिला ने अधिकारियों से उन्हें यूएई वापस जाने की अनुमति देने की अपील की है।
दुबई, प्रेट्र। अबु धाबी में रहने वाली एक भारतीय महिला यात्रा संबंधी सारे कागजात अपूर्ण होने के कारण जर्मनी के फ्रैंकफर्ट अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर चार दिन से फंसी हुई है। महिला ने अधिकारियों से उन्हें यूएई वापस जाने की अनुमति देने की अपील की है। यूएई की एक विज्ञापन कंपनी में काम करने वाली प्रिया मेहता अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से फ्रैंकफर्ट पहुंची। फ्रैंकफर्ट से चार जुलाई को दुबई के लिए उनकी उड़ान थी। लेकिन उन्हें विमान में सवार नहीं होने दिया गया क्योंकि उनके पास यूएई द्वारा जारी किए जाने वाले पहचान और नागरिकता के लिए संघीय प्राधिकार (आइसीए) मंजूरी नहीं है।
मेहता ने दावा किया, 'लुफ्तांसा और यूनाइटेड एयरलाइंस ने मुझे भरोसा दिलाया था कि मुझे आइसीए की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। अगर मुझे पता होता तो मैं अमेरिका में ही रह जाती।' आइसीए से मंजूरी लेने के लिए कई प्रयास करते हुए अब भी वह हवाई अड्डे पर फंसी हुई हैं। वहीं पर वह वेटिंग लाउंज में रुकी हुई हैं। जिस कंपनी में वह काम करती हैं उसने भी फ्रैंकफर्ट में अधिकारियों को एक पत्र भेजकर उनकी स्थिति से अवगत कराया है।
दुबई हवाई अड्डे पर नींद आ जाने से छूटी भारतीय नागरिक की फ्लाइट
दुबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गहरी नींद आ जाने से एक भारतीय स्वदेश वापसी के लिए विशेष विमान में सवार नहीं पाया। यह 53 वर्षीय भारतीय पी. शजहन अबूधाबी में स्टोरकीपर के रूप में काम करते हैं। वह अमीरात जंबो जेट से तिरुअनंतपुरम के लिए रवाना होने वाले थे। यह विमान केरल मुस्लिम कल्चरल सेंटर दुबई ने चार्टर किया था। स्वदेश वापसी के लिए यह पहला जंबो जेट चार्टर किया गया था। शजहन ने टिकट के लिए 1100 दिरहम (22,260 रुपये) भुगतान किए थे।
उन्होंने कहा कि जंबो जेट के लिए टिकट कन्फर्म होने के इंतजार में एक रात पहले वह सो नहीं सके थे। इस विमान से 427 भारतीय केरल आने वाले थे। रात में हवाई अड्डे पर चेक-इन प्रक्रिया और गहन जांच पूरी करने के बाद वह टर्मिनल तीन के बोर्डिग गेट के वेटिंग एरिया में स्थानीय समयानुसार रात दो बजे दाखिल हुए। वहां वह दूसरों की तरह बैठ गए, लेकिन 4:30 बजे भोर में गहरी नींद आ गई। चार्टर विमान का समन्वय करने वाले एस निजामुद्दीन कोल्लम ने कहा कि जब विमान उड़ान भरने वाला था तब भी एयरलाइन अधिकारियों ने शजहन को नहीं तलाशा। मार्च में भी एक भारतीय नींद के कारण विमान में सवार नहीं हो पाया और लौटने से पहले 50 दिनों तक फंसा रहा।