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कतर में आज फिर बात करेंगे अमेरिका और आतंकी संगठन तालिबान के प्रतिनिधि

अफगानिस्तान में 17 सालों से चल रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए अमेरिका और आतंकी संगठन तालिबान के प्रतिनिधि सोमवार को फिर मिलेंगे।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 24 Feb 2019 08:14 PM (IST)Updated: Mon, 25 Feb 2019 01:05 AM (IST)
कतर में आज फिर बात करेंगे अमेरिका और आतंकी संगठन तालिबान के प्रतिनिधि
कतर में आज फिर बात करेंगे अमेरिका और आतंकी संगठन तालिबान के प्रतिनिधि

 काबुल, एएफपी। अफगानिस्तान में 17 सालों से चल रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए अमेरिका और आतंकी संगठन तालिबान के प्रतिनिधि सोमवार को फिर मिलेंगे। कतर की राजधानी दोहा में होने वाली इस वार्ता में दोनों के बीच शांति समझौते की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों के अनुसार यह आसान नहीं होगा।

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अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी और युद्धविराम के लिए अब तक कोई समय निश्चित नहीं हो पाया है। तालिबान का कहना है कि अमेरिकी सेना के हटे बिना वह संधि के लिए आगे नहीं बढ़ेगा। इसी वजह से पिछले दौर की बैठकों में भी दोनों पक्ष में कोई सहमति नहीं बन पाई थी। इन मुद्दों का हल खोजना इस बार भी चुनौती है। विशेषज्ञों को डर है कि यदि अमेरिका अफगानिस्तान से अपने सैनिक हटाने में जल्दबाजी करता है तो इससे स्थिति और बिगड़ सकती है।

बीते महीने दोहा में हुई बैठक के दौरान शांति संधि की रूपरेखा पर सहमति बनी थी। तालिबान ने अफगानिस्तान को दोबारा अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों की सुरक्षित पनाहगाह नहीं बनने देने का वादा किया था। उल्लेखनीय है कि 2001 में अमेरिकी सेना द्वारा अफगानिस्तान की सत्ता से बेदखल किए जाने बाद पहली बार अमेरिका और तालिबान वार्ता कर रहे हैं।

दोनों पक्ष अपनी मांगों के लिए डालेंगे दबाव
कतर बैठक में तालिबान अपने आतंकियों को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की काली सूची से हटाने की मांग कर सकता है। दूसरी ओर, अमेरिका तालिबान पर अफगान सरकार से बातचीत करने का दबाव बनाएगा। तालिबान अफगान सरकार के साथ बातचीत से मना करता रहा है। वह अफगान सरकार को कठपुतली बताता है।

अफगानिस्तान में पिछले साल रिकॉर्ड मौतें
अफगानिस्तान में चल रहे युद्ध में पिछले साल 3804 लोगों की जान गई और 7189 लोग घायल हुए थे। पिछले दो दशक में यह सबसे बड़ी जनहानि है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2017 के मुकाबले 2018 में मरने वालों की संख्या 11 फीसद बढ़ी है। यूएन रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक दशक में अफगानिस्तान में 32 हजार लोगों की जान जा चुकी है और 60 हजार से ज्यादा घायल हुए हैं।


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