कोविड-19 से बचाने वाले जीन वैरिएंट की हुई पहचान, कोरोना संक्रमण से करेगा सुरक्षा प्रदान
शोधकर्ताओं ने एक प्रभावशाली जीन वैरिएंट का पता लगाया है जो कोरोना संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करता है। स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में विज्ञानियों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने अलग-अलग मूल के लोगों पर अध्ययन के दौरान उस महत्वपूर्ण जीन वैरिएंट का पता लगाया।
नई दिल्ली, एजेंसी। शोधकर्ताओं ने एक प्रभावशाली जीन वैरिएंट का पता लगाया है, जो कोरोना संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करता है। स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में विज्ञानियों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने अलग-अलग मूल के लोगों पर अध्ययन के दौरान उस महत्वपूर्ण जीन वैरिएंट का पता लगाया। अध्ययन का प्रकाशन 'नेचर जर्नल' में हुआ है, जिसमें बताया गया है कि जीन कोरोना संक्रमण के असर को प्रभावित कर सकते हैं। यानी, वे यह तय करने में भूमिका निभा सकते हैं कि कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमण से गंभीर रूप से प्रभावित होगा या हल्के असर के साथ उसकी बीमारी खत्म हो जाएगी।
पूर्व में मुख्य रूप से यूरोपीय लोगों पर हुए अध्ययनों में पाया गया था कि डीएनए के विशेष खंड की मौजूदगी वाले लोगों में कोविड के गंभीर संक्रमण का खतरा 20 प्रतिशत कम होता है। विज्ञानियों ने इस जीन वैरिएंट की पहचान के लिए उन लोगों को अध्ययन में शामिल किया, जिनमें डीएनए का विशेष खंड मौजूद था। इनमें अफ्रीकी मूल के 2,787 तथा छह विभिन्न समूहों के 1,30,997 ऐसे लोग शामिल रहे, जो कोविड संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती थे। अध्ययन की मुख्य लेखिका व वीए बोस्टन हेल्थकेयर सिस्टम की शोधकर्ता जेनिफर हफमैन ने कहा, 'अफ्रीकी मूल के लोगों में मौजूद समान सुरक्षा ने हमें डीएनए के विशेष जीन वैरिएंट (आरएस10774671-जी) की पहचान के लिए प्रेरित किया, जो कोरोना के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है।'
उधर, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि कोरोना महामारी जिस तरह से विकसित हो रही है, उससे पता चलता है कि यह वायरस पूरी तरह से कभी भी खत्म नहीं होगा। डब्ल्यूएचओ की प्रतिनिधि मेलिता वुजनोविक के हवाले से बताया कि यह वायरस एक स्थानिक बीमारी के रूप में आबादी में संचारित होता रहेगा। उन्होंने कहा कोरोना वायरस एक स्थानिक बीमारी बनने की राह पर है। इसका अर्थ है कि यह कभी खत्म नहीं होगा। हमें यह सीखना होगा कि इसका इलाज कैसे किया जाए और इससे खुद की रक्षा कैसे की जाए। मेलिता ने कहा कि अभी सबसे अहम संक्रमण को रोकने और इसकी चपेट में आने वालों की संख्या को कम करने की आवश्यकता है। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो नए रूप में वैरिएंट अप्रत्याशित तरीके से सामने आएंगे।