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आइसीजे ने अपने फैसले में कहा- हिंद महासागर के चागोस द्वीप समूह को खाली करे ब्रिटेन

ब्रिटेन के शासन वाले इस द्वीप समूह पर अमेरिका का डिएगो ग्रैसिया सैन्य अड्डा है। आइसीजे ने कहा है कि द्वीप समूह से अपना शासन जल्द से जल्द खत्म करना ब्रिटेन का कर्तव्य है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 26 Feb 2019 01:02 AM (IST)Updated: Tue, 26 Feb 2019 01:02 AM (IST)
आइसीजे ने अपने फैसले में कहा- हिंद महासागर के चागोस द्वीप समूह को खाली करे ब्रिटेन
आइसीजे ने अपने फैसले में कहा- हिंद महासागर के चागोस द्वीप समूह को खाली करे ब्रिटेन

हेग, प्रेट्र/राटयर। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) ने हिंद महासागर के चागोस द्वीप समूह पर ब्रिटेन के दावे को खारिज कर दिया है। सोमवार को दिए अपने फैसले में आइसीजे ने ब्रिटेन को जल्द से जल्द द्वीप समूह को खाली करने का आदेश भी दिया है।

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भारत ने मॉरिशस के दावे का किया था समर्थन

मॉरिशस ने चागोस द्वीप समूह पर दावा जताते हुए आइसीजे में अपील की थी। पिछले साल सुनवाई के दौरान भारत ने मॉरिशस के दावे का समर्थन किया था। मॉरिशस को 1968 में ब्रिटेन से आजादी मिली थी। लेकिन उससे पहले ही 1965 में ब्रिटेन ने मॉरिशस से चागोस द्वीप समूह को अलग कर दिया था।

आइसीजे ने अपने फैसले में कहा है कि द्वीप समूह को कानूनी तरीके से मॉरिशस से अलग नहीं किया गया था। बल्कि मॉरिशस से उसे अलग करने की कार्रवाई गैर-कानूनी थी। ब्रिटेन के शासन वाले इस द्वीप समूह पर अमेरिका का डिएगो ग्रैसिया सैन्य अड्डा है।

आइसीजे अध्यक्ष अब्दुलकवी अहमद युसूफ ने कहा है कि द्वीप समूह से अपना शासन जल्द से जल्द खत्म करना ब्रिटेन का कर्तव्य है। मॉरिशस सरकार ने पिछले साल सुनवाई के दौरान कहा था कि चागोस द्वीप समूह को जबरन उससे लिया गया था। जबकि, ब्रिटेन ने कहा था कि इस मामले पर सुनवाई करने का आइसीजे को अधिकार ही नहीं है।

सुनवाई के दौरान भारतीय राजदूत वेणु राजमोनी ने कहा था कि ऐतिहासिक सर्वेक्षण से साफ है कि उपनिवेशवाद से पहले और बाद के समय में भी यह द्वीपसमूह मॉरिशस का अभिन्न हिस्सा रहा है।

आइसीजे का यह फैसला कानूनी तौर पर बाध्यकारी नहीं, बल्कि परामर्शदायी है। लेकिन इस फैसले को संयुक्त राष्ट्र महासभा में भेजा जाएगा, जहां इस पर बहस होगी। यहां पर ब्रिटेन का पक्ष ना सिर्फ कमजोर होगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी छवि भी खराब होगी। 


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