अफ्रीका के हंटिंग डॉग से शिकार का बचकर निकलना मुश्किल, इस खास तकनीक का करते हैं इस्तेमाल
अफ्रीकी जंगली कुत्तों में इतना स्टैमिना होता है कि वो अपने शिकार को 50 किलोमीटर तक दौड़ा सकते हैं शिकार को दौड़ाकर थकाने के बाद वो उसका शिकार कर लेते हैं।
नई दिल्ली, रॉयटर्स। वैसे तो हम सभी ने टीवी स्क्रीन पर शेर, चीता और कुछ अन्य जंगली जानवरों को शिकार करते हुए देखा होगा मगर कई और दूसरे जंगली जानवर भी है जो अलग स्टाइल में शिकार करते हैं। यदि ये किसी के पीछे लग जाएं तो उसका बचकर निकलना मुश्किल होता है। इनमें अफ्रीका के जंगलों में पाए जाने वाले जंगली कुत्तों का नाम सबसे ऊपर आता है।
अफ्रीकी जंगली कुत्ते शेर और लकड़बग्घों से अलग होते हैं। अपनी खास तकनीक के दम पर वो शिकार को तब तक दौड़ाते हैं जब तक कि वो थक कर गिर ना जाए और फिर आसानी से उसे अपना निशाना बना लेते है। अफ्रीकी कुत्ते शिकार करने में अपनी ताकत, तेज गति या फिर छिपने की काबिलियत की वजह से कामयाब नहीं होते बल्कि कुछ और वजहें उन्हें शातिर शिकारी बनाती है।
लुप्त होने की कगार पर जंगली शिकारी कुत्ते
अफ्रीका के जंगलों में पाए जाने वाले ये जंगली कुत्ते लुप्त होने की कगार पर है। अफ्रीका में इनको पेंटेड डॉग या हंटिंग डॉग भी कहा जाता है। विकास प्रक्रिया के दौरान इन कुत्तों के अगले पैरों की हड्डियों, मांसपेशियों और जोड़ों में एक खास तरह का बैलेंस होता है, जिसके कारण ये तेज दौड़ते हुए भी अपना बैलेंस बनाए रखते हैं।
पूर्वी अफ्रीका में 20-30 के समूह में जंगली कुत्ते हिरणों का शिकार करने के लिए उनका पीछा करते हैं। इस दौरान ये हर रोज करीब 50 किलोमीटर तक दौड़ लगाते हैं। शिकार को थकाने वाली तकनीक का इस्तेमाल कर ये उनका पीछा करते हैं। इस दौरान इनकी रफ्तार 64 किलोमीटर प्रति घंटे तक रहती है।
साइंस जर्नल में छपी रिपोर्ट
एरिजोना के मिडवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में शरीर रचना विज्ञान (Anatomy)के प्रोफेसर हीथर स्मिथ का कहना है कि ये काफी असरदार शिकारी हैं और 60 फीसदी शिकार करने में सफल होते हैं जो शेर के 30 फीसदी और लकड़बग्घों के 25-30 फीसदी की तुलना में काफी ज्यादा है। हीथर स्मिथ ने ही इन कुत्तों पर हुई रिसर्च का नेतृत्व किया। इस रिसर्च की रिपोर्ट साइंस जर्नल पीयर जे में छपी है।
इनके पैरों में होती सिर्फ 4 ऊंगलियां
कुत्ते, भेड़िए, लोमड़ी इस तरह के जानवरों के समूह को कैनिड कहा जाता है। कैनिड जीवों में केवल ये कुत्ते ही ऐसे है जिनके पैरों में केवल चार अंगुलियां होती हैं। इनकी वजह से ना सिर्फ इनकी गति तेज होती है बल्कि ये लंबी छलांग लगाने में भी माहिर होते हैं।
हालांकि रिसर्चरों ने जब चिड़िया घर में प्राकृतिक कारणों से मरे एक अफ्रीकी जंगली कुत्ते का सीटी स्कैन और चीरफाड़ किया तो उन्हें अगले पंजों की त्वचा के नीचे एक छोटी सी ऊंगली की मौजूदगी का पता चला। इस ऊंगली की मांसपेशी का स्वरूप बदल गया था जो किसी और रूप में इस्तेमाल हो रहा था। यह ऊंगली कुत्तों को दौड़ने के दौरान उनकी स्थिति, स्थान, दिशा, शरीर और शरीर के अंगों का संतुलन बनाए रखने में मदद करती है।
बेहोश होने से बचाती है मांसपेशियां
इसके अलावा रिसर्चरों ने यह भी पता लगाया कि उनके पैरों की मांसपेशियों में ऐसी हल्की ऐंठन होती है जो उन्हें बेहोश होने से बचाती हैं। साथ ही अगले पैरों के जोड़ स्प्रिंग की तरह कुत्ते को आगे की ओर उछलने में मदद देते हैं। इसके अलावा उन्होंने उन मांसपेशियों में कमी भी देखी जो आमतौर पर कलाई और हाथों के अगले हिस्से को घुमाती हैं। इसका नतीजा इनकी स्थिरता के रूप में सामने आता है। इन कुत्तों में बहुत ज्यादा स्टैमिना है जबकि इनके प्रतिद्वंद्वी शिकारियों जैसे कि चीता अपनी तेजी, शेर अपनी ताकत और तेंदुआ छिपने की खूब की वजह से जाने जाते हैं।