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ब्रिटेन में शुरू हुआ कोविड-19 वैक्सीन का मानव परीक्षण, वैज्ञानिकों को सफलता की 80 फीसद उम्‍मीद

कोरोना वायरस के कहर से जूझ रही दुनिया को निजात दिलाने के लिए ब्रिटेन में दुनिया का सबसे बड़ा ड्रग ट्रायल शुरू हो गया है। वैज्ञानिकों को इसमें 80 फीसद सफलता की उम्‍मीद है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 24 Apr 2020 01:38 AM (IST)Updated: Fri, 24 Apr 2020 01:38 AM (IST)
ब्रिटेन में शुरू हुआ कोविड-19 वैक्सीन का मानव परीक्षण, वैज्ञानिकों को सफलता की 80 फीसद उम्‍मीद
ब्रिटेन में शुरू हुआ कोविड-19 वैक्सीन का मानव परीक्षण, वैज्ञानिकों को सफलता की 80 फीसद उम्‍मीद

लंदन, पीटीआइ। कोरोना वायरस के कहर से जूझ रही दुनिया को निजात दिलाने के लिए गुरुवार से ब्रिटेन में दुनिया का सबसे बड़ा ड्रग ट्रायल शुरू हो गया है। ब्रिटेन में अप्रत्याशित तेजी से शुरू हुए मानव परीक्षण पर पूरे विश्व की नजरें टिकी हुई हैं। वैज्ञानिकों ने परीक्षण में सफलता की 80 फीसद संभावना व्यक्त की है।

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ब्रिटेन में 165 अस्पतालों में करीब पांच हजार मरीजों का एक महीने तक और इसी तरह से यूरोप और अमेरिका में सैकड़ों लोगों पर इस वैक्सीन का परीक्षण होगा। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के संक्रामक रोग विभाग को प्रोफेसर पीटर हॉर्बी कहते हैं, 'यह दुनिया का सबसे बड़ा ट्रायल है।' प्रोफेसर हॉर्बी पहले इबोला की दवा के ट्रायल का नेतृत्व कर चुके हैं।

उधर, ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने कहा है कि दो वैक्सीन इस वक्त सबसे आगे हैं। एक ऑक्सफोर्ड और दूसरी इंपीरियल कॉलेज में तैयार हुई है। हैनकॉक ने बताया, 'आमतौर पर यहां तक पहुंचने में वर्षो लग जाते हैं और अब तक जो काम किया गया है उस पर मुझे गर्व है।'

प्रोफेसर हॉर्बी कहते हैं कि हमें अनुमान है कि जून में किसी समय कुछ परिणाम आ सकते हैं। यदि यह स्पष्ट होता है कि वैक्सीन से लाभ है तो उसका जवाब जल्दी मिल सकता है। ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन का सबसे पहले युवाओं पर परीक्षण किया जा रहा है। अगर यह सफल रहा तो अन्य आयु वर्ग के लोगों पर इस वैक्सीन का परीक्षण किया जाएगा।

वैसे वैज्ञानिकों और विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन का कहना है कि कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए वैक्सीन ही सबसे कारगर उपाय है। वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि इस वायरस के संक्रमण से सोशल डिस्टेंसिंग के जरिए सिर्फ बचा जा सकता है। जेनर इंस्टीट्यूट के मुताबिक दो महीने में पता चल जाएगा कि ये वैक्सीन कोरोना का संक्रमण कितना कम कर पाएगी।

बता दें कि किसी भी वैक्सीन का ट्रायल पहले जानवरों पर होता है उसके बाद उसे इंसानों पर प्रयोग किया जाता है। अमूमन इसमें दो साल तक लग जाते हैं लेकिन वैज्ञानिकों ने इसे डेवलप करने में अभूतपूर्व तेजी के साथ काम किया है। पूरी दुनिया में आपातकाल जैसी स्थिति को देखते हुए इस प्रक्रिया को दो महीने में पूरा करने की तैयारी है। 


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