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आखिर ओमिक्रान वैरिएंट को रोकेने में कितना कारगर है टीकाकरण? अल्‍फा या डेल्‍टा से कितना अलग है यह वायरस

ओमिक्रोन की सबसे पहले पहचान दक्षिण अफ्रीका में हुई लेकिन अब कोरोना वायरस का ये खतरनाक वैरिएंट भारत समेत यूरोप और एशिया में अपना पांव पसार चुका है। इसके बाद इस वैरिएंट से पूरी दुनिया में खलबली मच गई है। नया वैरिएंट तेजी से फैलने वाला बताया जा रहा है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Mon, 06 Dec 2021 01:44 PM (IST)Updated: Mon, 06 Dec 2021 09:42 PM (IST)
आखिर ओमिक्रान वैरिएंट को रोकेने में कितना कारगर है टीकाकरण? अल्‍फा या डेल्‍टा से कितना अलग है यह वायरस
अल्‍फा या डेल्‍टा वेरिएंट से कितना अलग है ओमिक्रान, क्‍या वायरस के प्रसार को रोकने में असरदार होगा टीकाकरण।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। हाल ही में दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना वायरस के खतरनाक वैरिएंट ओमिक्रोन ने पूरी दुनिया की चिंता बढ़ा दी है। कोरोना वायरस का यह नया वैरिएंट अब तक का सबसे खतरनाक वैरिएंट बताया जा रहा है। ओमिक्रोन की सबसे पहले पहचान दक्षिण अफ्रीका में हुई, लेकिन अब कोरोना वायरस का ये खतरनाक वैरिएंट भारत समेत यूरोप और एशिया में अपना पांव पसार चुका है। इसके बाद इस वैरिएंट से पूरी दुनिया में खलबली मच गई है। यह नया वैरिएंट तेजी से फैलने वाला बताया जा रहा है। यह धारणा परेशान करने वाली है कि ये उन लोगों को भी संक्रमित कर सकता है जो पहले से ही संक्रमित हो चुके हैं। यह भी कहा जा रहा है कि नए वैरिएंट के लिए एक नई वैक्‍सीनी की तैयारी चल रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्‍या पुराना टीका इस वैरिएंट पर कम असरदार है ? इन सब मामलों में वैज्ञानिकों का क्‍या सुझाव है ? इस मामले में लंदन स्कूल आफ हाइजीन एंड ट्रापिकल मेडिसिन में वायरोलाजी के प्रोफेसर पोली राय का मत है कि यह वैरिएंट कोरोना के अन्‍य वैरिएंट की तरह है और टीकाकरण की प्रक्रिया इसके प्रसार को रोक सकती है।

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1- प्रोफेसर पोली राय का कहना है कि ओमिक्रोन वैरिएंट की दस्‍तक भारत में हो चुकी है। हालांकि, यह वायरस कितना खतरनाक है और मौजूदा टीका इस पर कितना प्रभावकारी है। यह सवाल अभी भी लोगों के लिए ज‍िज्ञासा का विषय है। उनका मानना है कि भले ही इस वायरस के बारे में जानकारी दक्षिण अफ्रीका में हुई हो, लेकिन इसका अस्तित्‍व कई मुल्‍कों में पहले से रहा है। उनका कहना है कि यह उतना खतरनाक नहीं है, जितना कि इसके बारे में कहा जा रहा है। उन्‍होंने कहा कि  डेल्‍टा संस्‍करण के बारे में भी यही अवधारणा थी, जब यह वैरिएंट पहली बार उभरा तो सभी ने सोचा था कि इस गंभीर बीमारी से और कई मौतें और हो सकती हैं। यह भी कहा गया कि इस पर टीका प्रभावकारी नहीं होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस वैरिएंट की पहचान की गई और इस पर टीका विकसित किया गया और यह प्रभावशाली भी रहा।

2- उनका कहना है कि अभी भी टीकों को लेकर लोगों के मन में हिचकिचाहट है। कई मुल्‍कों में टीकों को बकवास कहा जा रहा है। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि कोरेाना वायरस के खिलाफ बनाए गए सभी टीके असरदार है। उन्‍होंने कहा कि सभी मुल्‍क अपनी वैक्‍सीन खुद बनाने की कोशिश करे तो बेहतर होगा। अन्‍यथा सभी की रक्षा करना संभव नहीं है। उनका मत है कि जहां टीका उपलब्‍ध है, वहां के लोगों को टीका लेना चाहिए। युवाओं में भ्रांतियां है कि टीके बेअसर है। खासकर भारत में यह भ्रांति अभी भी है। उन्‍होंने कहा कि अगर आप टीका लिए हैं तो बीमार होने की संभावना कम है। यदि वायरस से आप संक्रमित होते हैं तो इसका असर कम होगा। फाइजर और माडर्न के आरएनए टीके हैं। वह आपको उच्च सुरक्षा देते हैं। स्पुतनिक-वी टीका भी बहुत अच्छा है और मजबूत सुरक्षा प्रदान करता है।

3- उन्‍होंने कहा कि कोरोना के अन्‍य वैरिएंट की तरह ओमिक्रान वैरिएंट में भी कुछ बदलाव है। उन्‍होंने कहा कि इसके बावजूद टीका ही एकमात्र विकल्‍प है, जिससे ओमिक्रान के प्रसार को रोका जा सकता है। यह सबसे बेहतर विकल्‍प है। उन्‍होंने कहा कि ओमिक्रान के प्रसार को सीमित करने के लिए मास्‍क और शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है। उन्‍होंने कहा कि नाक को ढकना बेहद जरूरी है। उन्‍होंने कहा कि हालांक‍ि, टीकाकरण को लेकर दुनिया में काफी प्रगति हुई है। कई मुल्‍कों में टीकाकरण का अनुपात काफी बेहतर रहा है। भारत में टीकाकरण का अनुपात लगातार बढ़ रहा है। यह बेहतर संकेत हैं। उन्‍होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में टीकाकरण उस अनुपात में नहीं हुआ है, इससे लोगों की चिंता बढ़ी है।

4- उन्‍होंने कहा कि कोरोना के सभी वैरिएंट श्वसन प्रक्रिया को प्रभावति करने वाले वायरस हैं। यह श्वास के जरिए ही एक दूसरे को संक्रमित करते हैं। मुख्य बात यह है कि यदि कोई व्‍यक्ति वायरस से संक्रमित होता है तो यह देखना जरूरी है कि उस पर वायरस लोड कितना है। वायरस लोड से तय होता है कि आप कितने अध‍िक संक्रमित हैं। यदि आप 10 कणों से संक्रमित हैं तो यह अतिसंवेदनशील स्‍थ‍िति है। इसके साथ यदि कोई व्‍यक्ति दो कणों से संक्रमित है तो उस पर वायरल लोड कम होगा। वायरल लोड बहुत तीव्र होने की स्थिति में जब आप छींकते हैं तो बहुत सारे वायरस मुंह के जर‍िए आसानी से लोगों में फैल सकते हैं। उन्‍होंने कहा कि दूरी के हिसाब से सभी वैरिएंट की क्‍वालिटी एक जैसी है।

5- उन्‍होंने कहा कि वायरस अधिक संक्रमित हो सकता है, लेकिन इसका तात्‍पर्य यह नहीं है कि वह अधिक बीमारी का कारण बनेगा। यह धारणा गलत है। ये दोनों अलग-अलग चीजें हैं। ओमिक्रान भी अन्‍य कोरोना वायरस का एक वैरिएंट है। जैसा अल्‍फा और डेल्‍टा हैं। इन सबमें बहुत फर्क नहीं है। सवाल संक्रमित व्‍यक्ति के इम्‍यून सिस्‍टम का है। उन्‍होंने कहा कि आज दुनिया बेहतर स्थिति में है। कई लोगों को टीका लगाया जा चुका है। कुछ लोगों को टीके का एक डोज लग सका है। कुछ लोगों को टीके की दोनों खुराक मिल चुकी है। टीके की एक खुराक भी ओमिक्रान से सुरक्षा करने में मददगार है। फर्क इतना है कि एक खुराक की तुलना में दो खुराक वालों लोगों को कहीं अधिक सुरक्षा मिलेगी।

क्‍या है ओमिक्रान वैरिएंट

ओमिक्रान कोरोना वायरस का नया वैरिएंट है। इसे ओमिक्रोन (B.1.1.529) नाम दिया गया है। इस वैरिएंट के कुल 50 तरह के म्‍यूटेशन है। इसमें 30 स्‍पाइक प्रोटीन है। वैरिएंट की यह खासियत उसको अधिक संक्रामक और खतरनाक बनाती है। चिंता की बात वैरिएंट के 50 म्‍यूटेशन है। इसे डेल्‍टा वैरिएंट से ज्‍यादा संक्रामक बताया है। दरअसल, म्‍यूटेशन एक गुच्‍छे की तरह है और यह पहले फैलने वाले वैरिएंट से पूरी तरह से अलग है। इसके साथ इसमें 30 स्‍पाइक प्रोटीन हैं। वायरस के आंतरिक सरंचना में स्‍पाइक प्रोटीन ही वह हिस्‍सा होता है, जहां वैक्‍सीन असर करती है। इसे ऐसे समझिए, भारत में कहर मचाने वाले डेल्‍टा वैरिएंट के रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन में दो म्‍यूटेशन थे, जबकि इस वैरिएंट में 10 तरह के म्‍यूटेशन है। यह वायरस का वह हिस्‍सा होता है, जो हमारे शरीर के सेल्‍स के संपर्क में आता है। इसलिए यह वैरिएंट ज्‍यादा संक्रामक माना जा रहा है।


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