धरती पर कब और कैसे शुरू हुआ जीवन, बायोफाइंडर बदल देगा जीवन के साक्ष्य तलाशने का तरीका
Compact Colour Biofinder मनोआ में हवाई विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की टीम ने की है ये महत्वपूर्ण खोज। धरती से अलग ग्रहों पर जीवन की शुरुआत समझने में मददगार साबित होगा। साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है शोध।
होनोलुलू, एएनआइ। धरती पर जीवन की शुरुआत कब से हुई, यह सवाल अक्सर हमारे मन में आता है। विज्ञानियों ने कई शोध के माध्यम से अपने सिद्धांत प्रस्तुत किए, लेकिन कई शोधकर्ता ऐसे उपकरण बना रहे हैं जो जीवन की शुरुआत को समझने में मददगार साबित होंगे।
मनोआ में हवाई विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की टीम ने काम्पैक्ट कलर बायोफाइंडर नामक एक ऐसा अत्याधुनिक उपकरण तैयार किया है जो अलौकिक जीवन के साक्ष्य तलाशने के तरीके को पूरी तरह बदल सकता है। शोध से प्राप्त निष्कर्ष को साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित किया गया है। अधिकतर जैविक सामग्री जैसे अमीनो एसिड, जीवाश्म, तलछटी चट्टानें, पौधे, रोगाणु, प्रोटीन और लिपिड आदि में मजबूत कार्बनिक संकेत होते हैं जिनसे विशेष स्कैनिंग कर अतीत के महत्वपूर्ण तथ्यों को प्राप्त कर सकते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि बायोफाइंडर उपकरण इतना संवेदनशील है कि 34 से 56 मिलियन वर्ष पुरानी ग्रीन रिवर फार्मेशन से मछली के जीवाश्म के जैव अवशेषों का आसानी से पता लगा सकता है।
हवाई इंस्टीट्यूट आफ जियोफिजिक्स एंड प्लैनेटोलाजी के शोधकर्ता और लीड इंस्ट्रूमेंट डेवलपर अनुपम मिश्र बताते हैं कि बायोफाइंडर अपनी तरह की पहली प्रणाली है। वर्तमान में कोई ऐसा उपकरण नहीं है जो दिन के समय चट्टानों पर जैव अवशेषों की सूक्ष्म मात्रा का पता लगा सके। बायोफाइंडर की अतिरिक्त क्षमता यह है कि यह कई मीटर की दूरी से काम करता है। वीडियो लेता है और बड़े क्षेत्र को स्कैन कर लेता है।
एक विशाल ग्रह के परिदृश्य में जैविक अवशेष तलाशना बड़ी चुनौती है। इस विचार को ध्यान में रखते हुए विज्ञानियों ने इस उपकरण को तैयार किया। मिश्र ने कहा कि यदि बायोफाइंडर को मंगल या किसी अन्य ग्रह पर रोवर में लगा दिया जाए तो हम पिछले जीवन के साक्ष्य का पता लगाने के लिए बड़े क्षेत्र का तेजी से स्कैन कर सकेंगे, भले ही जीव कितना ही छोटा क्यों न हो और बिना किसी उपकरण से देखना संभव नहीं हो।