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भारत ने मॉरीशस को भिजवाईं हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की गोलियां, इससे पहले कई और देशों को ये गोलियां दे चुका है भारत

भारत सरकार ने मॉरीशस सरकार के अनुरोध पर उन्हें हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की आधा मिलियन (5 लाख) गोलियां प्रदान की। ये मॉरीशस भेजी गईं 13 टन जीवन रक्षक दवाइयों का एक हिस्सा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 15 Apr 2020 11:08 PM (IST)Updated: Thu, 16 Apr 2020 01:37 AM (IST)
भारत ने मॉरीशस को भिजवाईं हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की गोलियां, इससे पहले कई और देशों को ये गोलियां दे चुका है भारत
भारत ने मॉरीशस को भिजवाईं हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की गोलियां, इससे पहले कई और देशों को ये गोलियां दे चुका है भारत

पोर्ट लुईस, एएनआइ। भारत सरकार ने मॉरीशस सरकार के अनुरोध पर बुधवार शाम हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की आधा मिलियन (5 लाख) गोलियां प्रदान की। ये मॉरीशस भेजी गईं 13 टन जीवन रक्षक दवाइयों का एक हिस्सा हैं। यह जानकारी पोर्ट लुइस में भारत के उच्चायोग ने दी। मॉरीशस ऐसे देशों में शुमार है जहां भारतीय मूल के लोग शासन के उच्‍च पदों पर विराजमान हैं। इससे पहले भारत से बातचीत के बाद ब्रिटेन को पैरासिटामोल के 30 लाख टैबलेट मिलेंगे। अगलेे 2 हफ्ते में पैरासिटामोल ब्रिटेन पहुंचेगा। यह सभी सुपरमार्केट में उपलब्ध होगा ।

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बहुत दिन नहीं बीते, जब विश्व में भारत की छवि मांगने वालों में थी, लेकिन आज भारत अमेरिका, यूरोप समेत दुनिया के कई देशों को दवाओं की आपूर्ति कर रहा है। इस गहन संकट के समय विश्व भारत की ओर उम्मीदों से देख रहा है। इसका कारण पीएम मोदी की ओर से कोरोना वायरस के कहर से निपटने के लिए पहले सार्क और फिर जी-20 के जरिये सक्रियता दिखाना रहा।

पीएम नरेंद्र मेादी ने कोरोना वायरस से उपजी कोविड-19 बीमारी के उपचार में सहायक मानी जाने वाली मलेरिया की दवा जिस तरह अमेरि‍का समेत तमाम देशों को उपलब्ध कराई, उससे उनके साथ-साथ भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि और अधिक निखरी है। कोरोना वायरस से निपटने के लिए हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन को काफी उपयोगी माना जा रहा है। यही कारण है कि अमेरिका व ब्राजील के राष्‍ट्रपति और इजराइल के पीएम ने पीएम मोदी की प्रशंसा की। ब्राजील के राष्‍ट्रपति ने पीएम मेादी की तुलना हनुमान भगवान से की, जिन्‍होंने कष्‍ट के समय लोगों को संजीवनी उपलब्‍ध कराई।  

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने अपने ट्वीट में कहा था कि असाधारण वक्त में दोस्तों के बीच करीबी सहयोग की आवश्यकता होती है। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन पर फैसले के लिए भारत और भारतीय लोगों का शुक्रिया। इसे भुलाया नहीं जाएगा। इस लड़ाई में न केवल भारत, बल्कि मानवता की मदद करने के लिए आपके मजबूत नेतृत्व के लिए पीएम मोदी आपको बधाई।

 क्या है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन? 

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दशकों से मलेरिया के इलाज की एक निर्धारित दवा है। इसका इस्तेमाल रूमटॉइड आर्थ्राइटिस तथा ल्यूपस (त्वचा पर निकलने वाला एक क्रॉनिक तथा उभरा हुआ घाव) जैसे ऑटोइम्यून रोगों के इलाज के लिए भी होता है।

क्यों माना जाने लगा कोरोना का संभावित इलाज? 

एक प्रयोगशाला अध्ययन में पाया गया कि क्लोरोक्विन कोरोना वायरस को कोशिकाओं पर हमले से रोकता है। हालांकि टेस्ट ट्यूब या पेट्री डिसेस में जो दवा वायरस पर काबू पाते हैं, वैसा मानव शरीर में हमेशा नहीं होता है। साथ ही यह पाया गया है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन इंफ्लूएंजा तथा अन्य वायरल रोगों को रोकने या उनके इलाज में सफल नहीं है। लेकिन चीन और फ्रांस के डॉक्टरों की रिपोर्ट के अनुसार, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन कभी-कभी एंटीबॉयोटिक एजिथ्रोमाइसिन के साथ दिए जाने से रोगियों को राहत मिलती दिखती है। परंतु यह अध्ययन छोटे पैमाने पर हुआ। इसलिए व्यापक पैमाने पर यह पता नहीं चल पाया कि दवा ने काम किया या नहीं। फ्रांसीसी अध्ययन को इस आधार पर नकार दिया गया कि यह मानकों को पूरा करने वाला नहीं था।


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