नहीं है होम क्वारंटाइन की सुविधा तभी जाएं सरकार की क्वारंटाइन में, अफ्रीकी कोर्ट का आदेश
साउथ अफ्रीका में बदले नियम जिनके घर में सुविधा नहीं वे जाएंगे राज्य संचालित क्वारंटाइन फैसलिटी
जोहान्सबर्ग, प्रेट्र। दक्षिण अफ्रीकी हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार, देश में नॉवेल कोरोना वायरस के लिए पॉजिटिव पाए जाने वाले लोग यदि खुद को अपने घरों में ही क्वारंटाइन करने में सफल हैं तो उन्हें सरकार द्वारा संचालित किए जा रहे क्वारंटाइन सेंटरों में जाने को मजबूर नहीं किया जा सकता। प्रिटोरिया के हाई कोर्ट ने बुधवार को नियमों में बदलाव के आदेश दिए ताकि केवल वैसे ही संक्रमित लोगों को सरकारी क्वारंटाइन फैसिलटी में ले जाया जाए जो अपने घरों में क्वारंटाइन होने में असमर्थ हैं।
मंगलवार को हाई कोर्ट ने बताया कि देश भर में जारी लॉकडाउन का 68वां दिन है। कोरोना वारयरस के कारण पैदा हुए हालात से निपटने की सरकार की योजना को कोर्ट के फैसले से झटक लगा है। कोर्ट का कहना है कि राष्ट्रीय लॉकडाउन के कुछ नियम नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। कोर्ट ने बुधवार को एक संगठन 'एफ्रीफोरम' की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया जिसमें उसने कहा था कि सरकार का कोविड-19 संक्रमित किसी भी व्यक्ति को देश के पृथक केंद्रों में रहने के लिए मजबूर करना व्यक्ति के संवैधानिक अधिकारों का हनन है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाला या फिर संक्रमण की पुष्टि होने के बाद देश के कोविड-19 केंद्रों या अन्य निर्धारित स्थानों पर क्वारंटाइन पृथक रहना होगा और यदि वह अपने घर पर क्वारंटाइन रहने में समर्थ है तो उसे सरकारी क्वारंटाइन केंद्रों में शरण लेने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने इस बाबत नियम भी तय कर दिए।
कोर्ट ने कहा कि स्वयं को अलग करने के लिए व्यक्ति को एक अलग कमरे में रहना होगा, जहां कोई दूसरा व्यक्ति न तो सोए न ही वक्त बिताए। हालत बिगड़ने पर वह व्यक्ति स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करने या वहां लौटने में सक्षम हो। दक्षिण अफ्रीका में अभी तक कोविड-19 के 35,812 मामले सामने आए हैं जिनमें से 17,291 लोग ठीक हो चुके हैं और 705 लोगों की जान जा चुकी है।