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वैश्विक तौर पर सरकार और मीडिया में भरोसा हुआ कम, एडेलमन ट्रस्ट बैरोमीटर की सालाना रिपोर्ट में कही गई यह बात

अध्ययन के मुताबिक वैश्विक तौर पर 76 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वह फर्जी सूचना या खबर का हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने को लेकर चिंतित हैं। इस सूची में 84 प्रतिशत के साथ स्पेन शीर्ष पर है जबकि भारत 82 प्रतिशत के साथ पांचवें स्थान पर है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 10:06 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 10:06 PM (IST)
वैश्विक तौर पर सरकार और मीडिया में भरोसा हुआ कम, एडेलमन ट्रस्ट बैरोमीटर की सालाना रिपोर्ट में कही गई यह बात
फर्जी खबरों को लेकर चिंता सर्वकालिक उच्च स्तर पर

दावोस, प्रेट्र। पिछले एक साल में कोरोना महामारी के बीच सरकार और मीडिया में लोगों का विश्वास कम हुआ है, जबकि फर्जी खबरों को लेकर चिंताएं सर्वकालिक उच्च स्तर पर हैं। 'एडेलमन ट्रस्ट बैरोमीटर' की मंगलवार को जारी सालाना रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। यह रिपोर्ट हर साल विश्व आर्थिक मंच के दावोस शिखर सम्मेलन के दौरान जारी की जाती है। इसमें यह भी दिखाया गया है कि सबसे विश्वस्त के तौर पर सरकार का स्थान व्यवसाय ने ले लिया है। सरकार तथा मीडिया दूसरे और तीसरे स्थान पर आ गए हैं।

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अध्ययन के मुताबिक, वैश्विक तौर पर 76 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वह फर्जी सूचना या खबर का हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने को लेकर चिंतित हैं। इस सूची में 84 प्रतिशत के साथ स्पेन शीर्ष पर है, जबकि भारत 82 प्रतिशत के साथ पांचवें स्थान पर है।

लोगों के बीच एनजीओ, व्यवसायों, सरकारों और मीडिया को लेकर औसत प्रतिशत में चीन शीर्ष पर है, जबकि भारत चौथे स्थान पर और रूस सबसे निचले पायदान पर है।

नियोक्ता में भरोसे को लेकर भारत इंडोनेशिया के बाद दूसरे स्थान पर

भारत आर्थिक आशावाद के मामले में भी शीर्ष पांच में है। नियोक्ता में भरोसे को लेकर भारत इंडोनेशिया (91 प्रतिशत) के बाद दूसरे स्थान (90 प्रतिशत) पर है, जबकि चीन (89 प्रतिशत) तीसरे स्थान पर है। कोरिया सबसे अंतिम स्थान पर आया है। भारत में व्यवसाय, सरकारों और मीडिया में विश्वास कम हुआ है, जबकि एनजीओ के संबंध में यह अपरिवर्तित है।

भारत से इस सर्वेक्षण में शामिल हुए लोगों ने बताया कि उनका सबसे ज्यादा भरोसा एनजीओ में है। यह सर्वेक्षण 28 देशों में किया गया। सर्वेक्षण में 31 हजार से ज्यादा आम लोगों और करीब छह हजार जानकार लोगों से बात की गई।

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