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यमन में UN के शांति प्रयास पर अंतर्राष्ट्रीय बैठक की मेजबानी करने के लिए जर्मनी तैयार

यमन में चार-साढ़े चार साल से जारी इस हिंसक संघर्ष ने 22 मिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित किया है। इस वजह से देश में लगभग आठ मिलियन लोग भुखमरी का सामना कर रहे हैं।

By TaniskEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 10:23 AM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 11:00 AM (IST)
यमन में UN के शांति प्रयास पर अंतर्राष्ट्रीय बैठक की मेजबानी करने के लिए जर्मनी तैयार
यमन में UN के शांति प्रयास पर अंतर्राष्ट्रीय बैठक की मेजबानी करने के लिए जर्मनी तैयार

बर्लिन,एएनआइ। यमन में संयुक्त राष्ट्र (UN) के शांति प्रयासों का समर्थन करने के कवायद में जर्मनी बुधवार को एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए तैयार है। जानकारी के अनुसार जर्मन विदेश मंत्री हेइको मास ने कहा कि स्टॉकहोम परामर्श और समझौतों के बाद,जर्मनी ने अंतरराष्ट्रीय साझेदारों और कुछ प्रमुख लोगों को यमन में शांति के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों का समर्थन करने के लिए आमंत्रित किया है। 

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उन्होंने बताया कि पिछले साल दिसंबर में स्टॉकहोम में हुई वार्ता के दौरान हूती विद्रोहियों और यमन सरकार के बीच यमन में शांति बहाल करने को लेकर चर्चा हुई थी।

मास ने कहा  ' हमें आगामी प्रक्रिया के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समर्थन को रचनात्मक और मजबूत बनाने के लिए काम करना चाहिए और सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि धन की कमी या लंबी प्रशासनिक प्रक्रियाओं से यह बाधित न हो।' अन्य अधिकारियों में,यमन के मार्टिन ग्रिफिथ और संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत और यमन में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर लिसे ग्रांडे की बैठक में भाग लेने की उम्मीद है।

13 दिसंबर को, हूती विद्रोहियों और यमन सरकार के बीच शांति वार्ता स्टॉकहोम में आयोजित की गई थी,जहां दोनों पक्ष के बीच यमनी बंदरगाह शहर को खाली करने में संघर्ष विराम को लेकर समझौता हुई थी। हालांकि, इसके बाद भी दोनों दलों ने सेना को वापस नहीं बुलाया। 

यमन में चार-साढ़े चार साल से जारी इस हिंसक संघर्ष ने 22 मिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित किया है। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार इस वजह से देश में लगभग आठ मिलियन लोग भुखमरी का सामना कर रहे हैं। इसे देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां के लोगों को मानवीय सहायता और संरक्षण की सख्त जरूरत है। 

2015 की शुरुआत में हुती विद्रोही के खिलाफ सऊदी के नेतृत्व वाले सैन्य हस्तक्षेप ने देश की चिकित्सा,पानी और स्वच्छता व्यवस्था को बर्बाद कर दिया। इसके परिणामस्वरूप यहां हैजा और अन्य घातक बीमारियां फैल गईं। अभी तक इससे हजारों नागरिक (विशेषकर बच्चे) हवाई हमले या भूख की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं। वर्तमान में यमन की राजधानी सना पर हुतियों का कब्जा है,जिसने दिसंबर 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह की हत्या कर दी थी।


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