Covid-19 के बाद पटरी पर लौट रही जर्मनी फ्रांस की अर्थव्यवस्था, वैट पर लगी अस्थाई रोक
छह माह के बाद फ्रांस और जर्मनी की अर्थव्यवस्था दोबारा पटरी पर लौटती दिखाई दे रही है। इसमें सरकार की पहल और नीति का भी अहम रोल है।
बर्लिन (रॉयटर्स)। फ्रांस और जर्मनी से लॉकडाउन में मिली छूट के बाद धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था को गति मिलती दिखाई दे रही है। गुरुवार को सामने आई एक सर्वे की रिपोर्ट इस बात की तसदीक कर रही है कि जानलेवा कोरोना वायरस की रोकथाम के मद्देनजर इन दोनों देशों में जो लॉकडाउन लगाया गया था उससे अर्थव्यवस्था का पहिया रुक गया था। लेकिन अब इसमें छूट के बाद दोबारा देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ रही है। सर्वे में ये सामने आया है कि इस छूट के बाद ग्राहक और व्यापार में दोबारा एक आत्मविश्वास जागा है। इसकी एक बड़ी वजह इन दोनों ही देशों में कोरोना वायरस के मामलों में रफ्तार का कम होना भी है। इसकी वजह से यहां पर लॉकडाउन में छूट दी जा सकी है। हालांकि मामलों की बात चली है तो आपको यहां पर ये भी बता दें कि वर्तमान में लगभग समूचे यूरोप में ही कोरोना वायरस के मामलों में कमी आई है।
आपको बता दें कि कुछ माह पहले तक ये दोनों ही देश कोरोना वायरस के दुनिया के सबसे अधिक प्रभावित देशों की सूची में टॉप-10 में शामिल थे। यहां पर अप्रैल से लेकर मई तक लगातार हजारों की तादाद में नए मामले सामने आए थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब ये दोनों ही देश इस लिस्ट में 18वें और 19वें स्थान पर शामिल हैं। जर्मनी में म्यूनिख के पास बावरिया में 27 जनवरी 2020 को कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया था जबकि यहां पर 13 मार्च से कुछ चीजों पर पाबंदियों के साथ स्कूलों को बंद कर दिया था। 15 मार्च को देश की सीमाएं सील कर दी गईं। 22 मार्च को जर्मनी के छह राज्यों में इसकी रोकथाम के मद्देनजर पहली बार कर्फ्यू लगाया गया था।
इसी तरह से फ्रांस में इस वायरस का पहला मामला 24 जनवरी 2020 को सामने आया था। 14 फरवरी को इसकी वजह से देशमें पहली मौत दर्ज की गई थी। इसके अलावा इस जानलेवा वायरस से एशिया के बाहर भी ये पहली मौत थी। 12 मार्च को राष्ट्रपति ने देश के सभी कॉलेज और स्कूलों के बंद करने की घोषणा की थी। 16 मार्च को प्रधानमंत्री ने कहीं भी भीड़ लगाने को प्रतिबंधित किया और 17 मार्च से यहां पर पहली बार लॉकडाउन लगाया गया था।
हाल ही में हुए जिस सर्वे में अर्थव्यवस्था में सुधार की बात कही गई है उसमें कहा गया है कि जर्मनी में वैट पर लगी अस्थाई रोक से भी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में काफी मदद मिली है। इसकी बदौलत ग्राहकों में दोबारा भरोसा वापस आया है। जुलाई में भी यहां पर बिजनेस में तेजी देखी जा रही है। INSEE अधिकारियों की मानें बिजनेस क्लाइमेट इंडेक्स जून के 78 की तुलना में अब 85 पर आ चुका है। हालांकि कोरोना महामारी से पहले फरवरी माह में ये 105 के रिकॉर्ड स्तर पर था। वहीं अप्रैल में ये सबसे निचले स्तर 53 पर पहुंच गया था।
इस तरह की खबर है कि यूरोपीय संघ की पार्लियामेंट में एक स्पेशल सेशन बुलाया जाएगा जिसमें यूरोप के आर्थिक संकट को देखते हुए कोई राहत पैकेज की घोषणा हो सकती है। फ्रांस के वित्तमंत्री का कहना है कि उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि जब हालिया आर्थिक आंकड़े संतोषजनक थे, तब भी स्थिति बहुत नाजुक थी। जर्मनी के जीएफके इंस्टिट्यूट के शोधकर्ता रोल्फ बी का कहना है कि वैट अस्थाई रोक के बाद लोगों को उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था जल्दी ही पटरी पर लौट आएगी। वैट में अस्थाई रोक की वजह से लोगों की खरीदारी की ताकत भी बढ़ी है।