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शार्ली आब्दो दफ्तर में हमले के लिए अदालत ने 14 ठहराया दोषी, सुनाई 30 साल की कैद की सजा

फ्रांस में शार्ली आब्दो पत्रिका कार्यालय और सुपरमार्केट में हुए आतंकी हमला मामलों में अदालत ने बुधवार को 14 लोगों को दोषी ठहराते हुए 30 साल की कैद की सजा सुनाई है। इन हमलों की जिम्मेदारी आतंकी संगठन अल कायदा और इस्लामिक स्टेट ने ली थी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 17 Dec 2020 06:03 AM (IST)Updated: Thu, 17 Dec 2020 06:03 AM (IST)
शार्ली आब्दो दफ्तर में हमले के लिए अदालत ने 14 ठहराया दोषी, सुनाई 30 साल की कैद की सजा
फ्रांस में शार्ली आब्दो पत्रिका कार्यालय में हुए आतंकी हमला मामलों में अदालत ने 14 लोगों को दोषी ठहराया है।

पेरिस, रायटर। फ्रांस में शार्ली आब्दो पत्रिका कार्यालय और सुपरमार्केट में हुए आतंकी हमला मामलों में अदालत ने बुधवार को 14 लोगों को अपराध में सहयोगी होने का दोषी ठहराया। मामलों के तीन आरोपी अभी फरार हैं। न्यायाधीश ने बौमेदीन को आतंकियों की आर्थिक मदद करने और आपराधिक कृत्य में मदद का दोषी मानते हुए 30 साल की कैद की सजा सुनाई है। इन हमलों की जिम्मेदारी आतंकी संगठन अल कायदा और इस्लामिक स्टेट ने ली थी।

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आतंकी हमले सात जनवरी, 2015 में हुए थे। इन हमलों में कई पत्रकारों समेत 17 लोग मारे गए थे। पत्रिका द्वारा पैगंबर मुहम्मद का कार्टून छापे जाने से गुस्साए भाइयों- सैद और शेरिफ काउची ने पेरिस स्थित शार्ली आब्दो के कार्यालय में घुसकर गोलियां बरसाई थीं। तीसरे हमलावर अमेदी कौलीबाली ने एक महिला पुलिसकर्मी की हत्या की थी और कोशर सुपरमार्केट में घुसकर चार यहूदियों को बंधक बनाकर उन्हें मार डाला था। बाद में सैद, काउची और कौलीबाली पुलिस कार्रवाई में मारे गए।

जिन 14 लोगों को दोषी माना गया है उनमें हयात बौमेदीन (32) भी शामिल है। वह कौलीबाली की पत्नी है। वह फरार है लेकिन सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि वह अभी जिंदा है। उसके खिलाफ इंटरनेशनल वारंट जारी हो चुका है। जांचकर्ताओं ने उसे इस्लामिक स्टेट प्रिंसेस का नाम दिया है। न्यायाधीश ने कहा, हमलावर आतंकियों का उद्देश्य पश्चिमी देशों के लिए भय पैदा करना था। उन्‍होंने यह भी कहा कि बिना सहयोग के अपराध संभव नहीं था।

लंबी जांच के बाद आरोपियों को दोषी माना गया है। मामलों में छह आरोपी कम गंभीर अपराधों के दोषी पाए गए। इसलिए उनके खिलाफ आतंकवाद से संबंधित आरोप वापस ले लिए गए। सुनवाई के दौरान शार्ली आब्दो पत्रिका के पत्रकारों ने भी गवाही दी। सिमोन फिसी नामक एक गवाह ने अदालत को बताया था कि आतंकी दफ्तर में घुसते ही गोली चलाने लगे थे। आतंकी एक धर्म विशेष को लेकर नारे भी लगा रहे थे। उसके गले में गोली लगी और वह बेहोश होकर गिर पड़ा। यदि वह बेहोश नहीं हुआ तो उसकी जान नहीं बचती। 


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