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अभी वर्जिनिया नहीं हटा सकता ऐतिहासिक जनरल रॉबर्ट की मूर्ति, कोर्ट का आदेश

अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद देश भर में ऐतिहासिक प्रतिमाओं को हटाए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है।

By Monika MinalEdited By: Published: Fri, 19 Jun 2020 11:17 AM (IST)Updated: Fri, 19 Jun 2020 11:17 AM (IST)
अभी वर्जिनिया नहीं हटा सकता ऐतिहासिक जनरल रॉबर्ट की मूर्ति, कोर्ट का आदेश
अभी वर्जिनिया नहीं हटा सकता ऐतिहासिक जनरल रॉबर्ट की मूर्ति, कोर्ट का आदेश

रिचमंड, एपी। वर्जिनिया स्थित जनरल रॉबर्ट इ ली ( Gen. Robert E. Lee) की ऐतिहासिक स्टैचू को अभी नहीं हटाया जा सकेगा। यहां के एक जज ने गुरुवार को कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा जिसके अनुसार गर्वनर की मांग को खारिज कर दिया गया। दरअसल, वर्जीनिया के गर्वनर ने इस ऐतिहासिक मूर्ति को हटाने की मांग की थी। 

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जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद जारी हिंसक प्रदर्शनों का हवाला देते हुए डेमोक्रेट नॉर्थम (Northam) ने हाल में ही मूर्ति को हटाने का आदेश दिया था। अमेरिकी शहर मिनियापॉलिस में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड  की मौत न्यूयार्क पुलिस के हिरासत में हो गई थी। एक श्वेत ऑफिसर ने फ्लॉयड की गर्दन को अपने घुटने से दबाया जिससे उसकी मौत हो गई।   

अश्वेत फ्लॉयड की मोत के बाद अमेरिका में शुरू हुए ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन के विरोध प्रदर्शनों ने कई लोगों की औपनिवेशिक और इंपीरियल इतिहास, नस्लवाद और अश्वेत लोगों के शोषण के प्रति लोगों की धारणाओं को चुनौती दी है। प्रदर्शनकारी कहते हैं कि नस्लवाद इतिहास में पेश किए गए उस नजरिए की जड़ में समाया हुआ है जिसके केंद्र में यूरोप और श्वेत लोग हैं और जो दुनिया को सिर्फ एक रंग से देखता है।

अमेरिका के कई शहरों में प्रदर्शनकारियों ने ऐतिहािसक मूर्तियों को क्षतिग्रस्त कर दिया। अमेरिका के बाहर ब्रिटेन से भी ऐसी खबरें मिली हैं। बोस्टन, न्यूयॉर्क, पेरिस, ब्रुसेल्स, लंदन जैसे कई शहरों में ऐतिहासिक मूर्तियों को तोड़ने की घटनाएं हुई। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में विक्टोरियन साम्राज्यवादी सेसिल रोड्स की एक मूर्ति को भी निशाना बनाया गया। दरअसल, रोड्स ने सोने और हीरे की खदानों में दयनीय स्थितियों में श्रमिकों से काम करवाया था, जिसमें कई खनिकों की जान चली गई थी। वहीं बेल्जियम में सबसे लंबे समय तक देश पर शासन करने वाले राजा लियोपोल्ड द्वितीय की मूर्तियों को तोड़ने की भी लोगों ने मंशा जाहिर की। बेल्जियम के घेंट शहर में मौजूद इस मूर्ति को लोगों ने लाल रंग से पेंट किया और सिर पर कपडा बांध लिखा 'आइ कांट ब्रीद'।


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