कोविड-19 के कारण पहले रोहिंग्या शरणार्थी की मौत
WHO के अनुसार बांग्लादेश में 1 जून तक कोविड-19 संक्रमण के चपेट में कुल 47 हजार 1सौ 53 लोग थे जिनमें से 650 लोगों की मौत हो गई।
ढाका, एएफपी। बांग्लादेश में नॉवेल कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण पहले रोहिंग्या शरणार्थी (Rohingya Refugee) की मौत मंगलवार को हो गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, बांग्लादेश में 1 जून तक कोविड-19 संक्रमण के चपेट में कुल 47 हजार 1सौ 53 लोग थे जिनमें से 650 लोगों की मौत हो गई।
मृतक का इलाज कॉक्स बाजार स्थित उखिया कैंप (Ukhiya camp) में किया जा रहा था। इसकी मौत 31 मई को हो गई लेकिन इसकी पुष्टि सोमवार रात हुई। यह जानकारी वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी तोहा भूइंया (Toha Bhuiyan) ने दी।
मरने वाले की उम्र 71 वर्ष
रिफ्यूजी राहत पुनर्वास कमिशन के हेल्थ कोऑर्डिनेटर डॉक्टर अबू तोहा एमआरएच भूइयां ने कहा, '71 वर्षीय शख्स की मौत रोहिंग्या समुदाय में कोरोना के कारण होने वाली पहली मौत है।' उन्होंने कहा कि कई रोहिंग्या संक्रमित हैं और सभी को आइसोलेशन सेंटर में रखा गया है। कॉक्स बाजार के कुटुपालोंग रोहिंग्या कैंप में 16 मई को दो रोहिंग्या नागरिकों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। लॉकडाउन के बाद स्थानीय प्रशासन ने करीब 5,000 रोहिंग्या को कैंप में बंद कर दिया था।
रोहिंग्या समुदाय में कोरोना का कहर
UNICEF ने बताया कि रोहिंग्या समुदाय में संक्रमण की पुष्टि के बाद ही इसने 210-बेड वाले आइसोलेशन व ट्रीटमेंट सेंटर की तैयारी शुरू कर दी थी। 25 अगस्त 2017 से बांग्लादेश आए रोहिंग्याओं की संख्या करीब 1.1 मिलियन है। बता दें कि म्यांमार की सरकार रोहिंग्या समुदाय को अपने देश का नागरिक नहीं मानती है। दशकों से म्यांमार के बहुसंख्यक बौद्ध पर रोहिंग्या लोगों के साथ भेदभाव और हिंसा के बर्ताव का आरोप लगता रहा है। भारत में भी कुछ रोहिंग्या मुसलमान बतौर शरणार्थी रहते हैं। दुनिया में सबसे अधिक रिफ्यूजी कैंप वाले कॉक्स बाजार जिले में अब तक कुल 792 संक्रमण के मामलों की पुष्टि हुई है। इन शरणार्थी शिविरों में चेचक ओर डिप्थिरया जैसे महामारी का रिकॉर्ड है।