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रोहिंग्या मामले का हल न होने से फैलेगा आतंकवाद और कट्टरवाद, बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने दी चेतावनी

बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन ने चेतावनी दी है कि रोहिंग्या संकट का हल निकालने में विफलता का परिणाम आगे चलकर कट्टरपंथ और आतंकवाद के रूप में सामने आएगा।

By Monika MinalEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2020 04:34 PM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2020 04:34 PM (IST)
रोहिंग्या मामले का हल न होने से फैलेगा आतंकवाद और कट्टरवाद,  बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने दी चेतावनी
रोहिंग्या मामले का हल न होने से फैलेगा आतंकवाद और कट्टरवाद, बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने दी चेतावनी

ढाका, प्रेट्र। बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके मोमेन (Bangladesh Foreign Minister AK Momen) ने  कहा म्यांमार (Myanmar)  को भारत समेत अपने मित्र देशों से सहायता लेकर रोहिंग्याओं की वापसी सुनिश्चित करानी चाहिए। विदेश मंत्री ने चेतावनी दी कि यदि यह समस्या हल नहीं होती है तो इससे देश में आतंकवाद और कट्टरवाद फैलेगा जो शांति और स्थिरता के लिए खतरनाक है। विदेश मंत्री ने शनिवार को वर्चुअल तौर पर आयोजित 27वें आसियान (ASEAN, Association of Southeast Asian Nations Regional)  क्षेत्रीय मंच (एआरएफ) को संबोधित करते हुए कहा था, ' हमारा डर यह है कि अगर यह समस्या जल्दी हल नहीं होती है, तो इससे कट्टरता और आतंकवाद बढ़ेगा और इससे क्षेत्र में अनिश्चितता का माहौल बनने की आशंका है, जो शांतिपूर्ण, सुरक्षित और स्थिर क्षेत्र की हमारी उम्मीदों को धूमिल कर सकती है।' 

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उन्होंने आगे कहा कि इस बात की आशंका है कि अगर इस समस्या को जल्द से जल्द हल नहीं किया गया तो क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की उम्मीदों को झटका लग सकता है। उनके अनुसार,  बांग्लादेश ने देश की अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी के लिए खतरे के बावजूद मानवीय आधार पर लगभग 11 लाख रोहिंग्याओं को आश्रय दिया।उन्होंने इसे दुर्भाग्य बताते हुए कहा कि  आज तक कोई वापस नहीं गया और एक अनुकूल माहौल बनाने के बजाय म्यांमार के रखाइन प्रांत में लड़ाई और गोलाबारी जारी है। उन्होंने कहा कि रोहिंग्या मुख्य रूप से अपनी मातृभूमि नहीं लौट रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपनी सुरक्षा को लेकर अपनी सरकार पर भरोसा नहीं है। 

उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश ने अब तक म्यांमार के साथ रोहिंग्या के प्रत्यावर्तन के लिए तीन समझौते किए हैं, जबकि म्यांमार भी शरणार्थियों को वापस लेने और उनके स्वैच्छिक वापसी और सुरक्षा के लिए अनुकूल माहौल बनाने पर सहमत हुआ है। बता दें कि वर्ष 2017 में म्यांमार के रखाइन प्रांत में सैन्य कार्रवाई के चलते नौ लाख से ज्यादा रोहिंग्या बांग्लादेश चले आए थे। बांग्लादेशी विदेश मंत्रालय ने रविवार को म्यांमार के राजदूत यू आंग क्वाव मोई को तलब कर सैन्य गतिविधि को लेकर अपनी चिंताओं से अवगत कराया। मीडिया में खबरें आई हैं कि बांग्लादेश से सटे म्यांमार के रखाइन प्रांत में सेना कुछ संदिग्ध अभियान को अंजाम दे रही है। ऐसे अभियान से ही रोहिंग्या मुस्लिमों ने पलायन किया था।


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