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हरिद्वार कुंभ से लौटे नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह व उनकी पत्‍नी कोरोना पॉजिटिव, पतंजलि योग पीठ भी गए थे

हरिद्वार कुंभ में भाग लेकर लौटे नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं। नेपाल के स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। ज्ञानेंद्र शाह अपनी पत्नी कोमल शाह के साथ रविवार को भारत से लौटे थे। दोनों की ही पॉजिटिव रिपोर्ट आई है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 04:33 PM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 10:25 PM (IST)
हरिद्वार कुंभ से लौटे नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह व उनकी पत्‍नी कोरोना पॉजिटिव, पतंजलि योग पीठ भी गए थे
हरिद्वार कुंभ से लौटे नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह व उनकी पत्‍नी कोरोना पॉजिटिव। फाइल फोटो।

काठमांडू, एजेंसी। हरिद्वार कुंभ में भाग लेकर लौटे नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं। नेपाल के स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। ज्ञानेंद्र शाह अपनी पत्नी कोमल शाह के साथ रविवार को भारत से लौटे थे। कोरोना की गाइडलाइन के कारण मंगलवार को टेस्ट किया गया तो दोनों की ही पॉजिटिव रिपोर्ट आई है।

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ज्ञानेंद्र शाह अपनी पत्नी के साथ होम आइसोलेशन में चले गए हैं। ज्ञानेंद्र शाह को हरिद्वार की महाकुंभ मेला 2021 की विशेष समिति ने आमंत्रित किया था। वे 12 अप्रैल के शाही स्नान में मुख्य अतिथि थे। उन्होंने अन्य कई कार्यक्रम में भाग लिया था। अपनी भारत यात्रा के दौरान ज्ञानेंद्र सिंह बाबा रामदेव के पतंजलि योग पीठ भी गए थे। उन्होंने निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर आचार्य कैलाश चंद गिरि महाराज से दक्षिण काली मंदिर में भेंट की थी। उन्होंने एक अन्य कार्यक्रम में हिंदू धर्म की महत्ता पर साधुओं को संबोधित किया था। उनका स्वागत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने किया था।

बता दें कि रॉयल पैलेस में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र के बड़े भाई बीरेंद्र बीर बिक्रम शाह देव और उनके परिवार के लोगों की एक नरसंहार में हत्या कर दी गई थी। जांच में यह माना गया कि बीरेंद्र के बेटे दीपेंद्र ने ही यह हत्याएं की थीं। दीपेंद्र भी इस घटना में मारा गया था। इसके बाद 2001 में ज्ञानेंद्र नेपाल के राजा चुने गए थे। पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को 2008 में गद्दी छोड़नी पड़ी थी। नेपाल में राजशाही के खिलाफ हुए विद्रोह के बाद सदियों से चली रही राजशाही का अंत हो गया था। नेपाल में भी लोकतांत्रिक सरकार चुनी गई थी। वर्ष 2005 में देश की कमान सीधे तौर पर अपने हाथ में लेने की वजह से उनके खिलाफ पूरे देश में माहौल बन गया था। उस समय ज्ञानेंद्र शाह ने दावा किया था कि माओवादी घटनाओं को रोकने में प्रमुख राजनीतिक दल विफल रहे हैं। राजगद्दी से हटने के बाद से ही यह शाही दंपति बहुत ही कम सार्वजनिक मंचों पर दिखती है।

हरिद्वार में महाकुंभ का मेला एक अप्रैल को शुरू हुआ था। इसके लिए उत्तराखंड आने वाले लोगों के लिए कई तरह की पाबंदियां भी रखी गई थीं। इसके बावजूद कुंभ से लौटने के बाद कोविड पॉजिटिव के कई मामले सामने आए हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साधुओं से अपील की थी कि कुंभ को अब सिर्फ ‘सांकेतिक’ ही रखा जाए


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