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बोल उठी मिस्र की 3000 साल पुरानी ममी, थ्री-डी प्रिंटिंग के जरिए स्वर प्रणाली विकसित

लंदन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का मानना है कि मिस्र की नेसयामुन ममी 1099 से 1069 ईसा पूर्व के बीच फेराओ रामसेस द्वितीय के राजनीतिक रूप से अस्थिर शासन के दौरान की है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 03:38 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 03:39 PM (IST)
बोल उठी मिस्र की 3000 साल पुरानी ममी, थ्री-डी प्रिंटिंग के जरिए स्वर प्रणाली विकसित
बोल उठी मिस्र की 3000 साल पुरानी ममी, थ्री-डी प्रिंटिंग के जरिए स्वर प्रणाली विकसित

लंदन, एजेंसी । मिस्र के पिरामिडों और ममी निश्चित रूप से हमेशा से दुनिया की दिलचस्पी रही है। इस पर समय-समय पर कई ऐसा चौंकाने वाली खोजें हुई हैं। इन खोजों ने दुनिया का आश्चर्य में डाल दिया है। कुछ ऐसी ही खोज मॉस्को के कुर्चतोव इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने की है, जो शायद ही अब तक कभी हुई हो। शोधकर्ताओं ने थ्री-डी प्रिंटिंग के जरिए स्वर प्रणाली विकसित कर तीन हजार साल पुरानी मिस्र की एक ममी को आवाज दी है। माना जा रहा है कि अपने तरीके के इस पहले शोध के माध्यम से प्राचीन मनुष्यों की आवाज सुनने में मदद मिल सकती है।

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शोधकर्ताओं में शामिल लंदन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का मानना है कि मिस्र की नेसयामुन ममी 1099 से 1069 ईसा पूर्व के बीच फेराओ रामसेस द्वितीय के राजनीतिक रूप से अस्थिर शासन के दौरान की है। साइंटिफिक रिपोर्ट जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक नेसयामुन मिस्र के विश्व धरोहर स्थल थेब्स के मंदिरों में पुरोहित और मुंशी के तौर पर काम करते थे। इन मंदिरों के खंडहर मिस्त्र के आधुनिक शहर लक्सर में देखे जा सकते हैं।

नेसयामुन द्वारा कराए जाने वाले अनुष्ठानों में उनकी आवाज का खास महत्व था। वैज्ञानिकों ने नेसयामुन के मुंह और गले का विस्तृत विश्लेषण करने के लिए कंप्यूटेड टोमोग्राफी स्कैन नामक एक्सरे डिवाइस इस्तेमाल की। इसके बाद थ्री-डी प्रिंटिंग का उपयोग करते हुए ममी के वाइस बॉक्स या स्वरयंत्र को फिर से बनाया गया। अध्ययन में कहा गया है कि जब शोधकर्ताओं ने थ्री-डी प्रिंटेड सेटअप का इस्तेमाल आर्टिफिशियल स्वर यंत्र के साथ किया (इसका प्रयोग आमतौर पर स्पीच सिंथेसिस में किया जाता है) तो वे एक ही ध्वनि को दोहरा सकते थे।


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