दशकों की हिंसा से उब चुके हैं तालिबान और अफगानिस्तान सरकार, दोनों ही चाहते हैं शांति बहाली
फगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए तालिबान और अफगानिस्तान सरकार के बीच तीन सप्ताह के बाद वार्ता का दौर फिर शुरू हो गया है। वार्ता में इस बार युद्ध विराम और हिंसा को समाप्त करना प्राथमिकता में सबसे ऊपर होगा।
काबुल, एजेंसियां। अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए तालिबान और अफगानिस्तान सरकार के बीच तीन सप्ताह के बाद वार्ता का दौर फिर शुरू हो गया है। वार्ता में इस बार युद्ध विराम और हिंसा को समाप्त करना प्राथमिकता में सबसे ऊपर होगा। अफगानिस्तान की शांति परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने कहा कि हम अफगानिस्तान में पूरी तरह से शांति स्थापित करना चाहते हैं। तालिबान से भी हमें यही अपेक्षा है। उम्मीद है कि इस बार दोनों ही पक्ष ठोस कदम उठाएंगे। अफगान वार्ताकार कह चुके हैं कि पहले दौर की बातचीत में वार्ता का एजेंडा तय हो गया है, अब हम नई प्रक्रिया शुरू कर रहे हैं। दोनों पक्षों ने एक दूसरे को अपनी सूची सौंप दी है।
अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने कहा, हिंसा पर कोई हल निकलेगा, दोहा वार्ता शुरू
अफगानिस्तान की टीम ने अपनी सूची में युद्धविराम, राष्ट्रीय संप्रभुता का संरक्षण, विदेशी लड़ाकों की गतिविधियों को प्रतिबंधित करना प्रमुख मुद्दे हैं। वहीं तालिबान की सूची में इस्लामिक तरीके की सरकार, इस्लामी परिषद की स्थापना और इस्लामी सिद्धांतों के हिसाब से ही महिलाओं और नागरिकों के अधिकार मुख्य मांगों में शामिल हैं। इधर अमेरिका के अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया के विशेष दूत जालमे खलीलजाद ने अफगानिस्तान,पाकिस्तान , कतर और तुर्कमेनिस्तान की यात्रा शुरू कर दी है। उनका मकसद अफगानिस्तान में स्थायी शांति स्थापित करना है।
कतर की राजधानी दोहा में खलीलजाद अफगान सरकार के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करेंगे। काबुल में खलीलजाद वहां के नेताओं, सेना और जनता के लोगों से मिलेंगे। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उनके दूत जालमे खलीलजाद वार्ता में शामिल दोनों ही पक्षों को शांति स्थापित करने की स्थिति तक पहुंचने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।