दीवाली के दूसरे दिन यहां होती है कुत्तों की पूजा, मिलता है भोजन, किया जाता है सम्मान
नेपाली परंपराओं के मुताबिक पांच दिवसीय त्योहार में पहले दिन काग तिहार और दूसरे दिन कुकुर तिहार मनाया जाता है। कुकुर तिहार दीपावली के दूसरे दिन मनाते हैं। ‘काग तिहार’ में कौओं की पूजा की जाती है। ‘काग तिहार’ को नेपाल में दुख और निराशा का प्रतीक माना जाता है।
काठमांडू, एएनआइ। नेपाल के लोग पांच दिवसीय दिवाली समारोह के हिस्से के रूप में 'कुकुर तिहार ’ मनाते हैं। यह दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है, जिसमें कुत्तों की पूजा की जाती है और उन्हें भोजन दिया जाता है।इस दौरान उनको फूल माला पहना कर उनका सम्मान किया जाता है। यह त्योहार मनुष्यों और कुत्तों के बीच संबंधों पर केंद्रित है। नेपाल में ‘कुकुर तिहार’ बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। पांच दिवसीय त्योहार मूलत: मनुष्य और जीव के बीच के संबंधों को पारिभाषित करते हैं।
Kathmandu, Nepal: People celebrate 'Kukur Tihar' as part of their 5-day long #Diwali celebrations. It's celebrated on the 2nd day of Diwali wherein dogs are worshipped and offered food. It focuses on the bond between humans & dogs.
Visuals from an animal shelter in Kathmandu. pic.twitter.com/IreLtbSek6— ANI (@ANI) November 14, 2020
पहले दिन होता 'काग तिहार' का त्योहार
नेपाली परंपराओं के मुताबिक, पांच दिवसीय त्योहार में पहले दिन 'काग तिहार' और दूसरे दिन 'कुकुर तिहार' मनाया जाता है। कुकुर तिहार दीपावली के दूसरे दिन मनाते हैं। ‘काग तिहार’ में कौओं की पूजा की जाती है। ‘काग तिहार’ को नेपाल में दुख और निराशा का प्रतीक माना जाता है। इसमें लोग घरों के सामने पकवान और मिठाइयां रख देते हैं, ताकि कौवे उसे खाकर आशीर्वाद देंं।
यमराज का दूत माना जाता है कुत्तों को
‘काग तिहार’ के बाद अगले दिन 'कुकुर तिहार' होता है। इस दिन नेपाल में पालतू कुत्तों और आवारा कुत्तों की पूजा की जाती है, इसदिन कुत्तों को सजा-सवांरकर सम्मान के इनका मनपसंद भोजन करवाया जाता है। नेपाल में माना जाता है कि कुत्ते यमराज का दूत होते हैं।