विरोध के बाद भी नही माना बांग्लादेश, रोहिंग्याओं को बंगाल की खाड़ी स्थित द्वीप पर पहुंचाना शुरू
बांग्लादेश ने रोहिंग्या शरणार्थियों को बंगाल की खाड़ी में स्थित द्वीप पर पहुंचाना शुरू कर दिया है। देश के दक्षिणी बंदरगाह चटगांव से शुक्रवार को 1600 से अधिक शरणार्थी यहां भेजे गए। भारी विरोध के बाद भी उन्हें यहां भेजा जा रहा है।
ढाका, रायटर। बांग्लादेश ने मानवाधिकार संगठनों के आग्रह और भारी विरोध को दरकिनार करते हुए रोहिंग्या शरणार्थियों को बंगाल की खाड़ी में स्थित द्वीप पर पहुंचाना शुरू कर दिया है। देश के दक्षिणी बंदरगाह चटगांव से शुक्रवार को 1,600 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी यहां के लिए रवाना हुए। एक नौसेना अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। दक्षिण एशियाई देश का कहना है कि यहां केवल उन शरणार्थी को ले जाया जा रहा है, जो जाने के इच्छुक हैं और इससे उन कैंप में भीड़भाड़ कम होगी, जहां पड़ोसी मुल्क म्यांमार भागकर आए 10 लाख से अधिक रोहिंग्या रह रहे हैं। हालांकि, शरणार्थियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि रोहिंग्याओं को इस द्वीप पर जबरन भेजा जा रहा है।
नौसेना अधिकारी ने कहा कि रोहिंग्या सात नावों पर सवार थे। इसके अलावा दो नावों में सामान भेजा गया। विदेश मंत्री अब्दुल मोमन ने गुरुवार को देर से संवाददाताओं से कहा कि सरकार किसी को भी जबरदस्ती इस द्वीप पर नहीं ले जा रही है। हम इस पोजिशन पर कायम हैं, लेकिन यहां भेजे जा रहे दो रोहिंग्याओं ने समाचार एजेंसी रायटर से कहा कि लिस्ट में उनका नाम बगैर उनकी सहमति के डाल दिया गया है, जबकि इनको सहायता प्रदान कर रहे कार्यकर्ताओं ने कहा कि अधिकारियों ने लोगों पर यहां जाने के लिए दबाव डाला और धमकियां दी।
कॉक्स बाजार के पास शिविरों से बस में चढ़ने के बाद 31 वर्षीय एक व्यक्ति ने समाचार एजेंसी रायटर को फोन पर रोते हुए बताया, 'वे हमें जबरदस्ती यहां लाए हैं। तीन दिन पहले जब मैंने सुना कि सूची में मेरा परिवार है, तो मैं ब्लॉक से भाग गया, लेकिन कल मुझे पकड़ लिया गया और यहां लाया गया।' एक 18 वर्षीय महिला ने कहा कि उसके पति ने भोजन राशन का लिस्ट सोचकर सूची में अपना नाम जुड़वा लिया। जब इस द्वीप पर जाने के लिए कहा गया तो महिला का पति भाग गया। उसने कहा कि वह भी कैंप में छिपी हुई है।