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दलाई लामा ने यूएन की परमाणु प्रतिबंध संधि को सराहा

तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा ने परमाणु हथियारों पर रोक लगाने के लिए जनवरी में लागू होने वाली यूएन की प्रतिबंध संधि की सराहना की है। संधि वास्तव में ऐतिहासिक है और इससे मानवता का भविष्य और अच्छी तरह से विकसित होगा।

By Pooja SinghEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 07:32 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 07:32 AM (IST)
दलाई लामा ने यूएन की परमाणु प्रतिबंध संधि को सराहा
दलाई लामा ने यूएन की परमाणु प्रतिबंध संधि को सराहा

जागरण संवाददाता, धर्मशाला। तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा ने परमाणु हथियारों पर रोक लगाने के लिए जनवरी में लागू होने वाली यूएन की प्रतिबंध संधि की सराहना की है। उन्होंने कहा कि परमाणु प्रतिबंध संधि विभिन्न देशों के बीच होने वाले संघर्षो को सुलझाने के लिए अधिक प्रबुद्ध और सभ्य व्यवस्था खोजने की दिशा में सही पहल साबित होगी।

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तिब्बती धर्मगुरु ने कहा कि परमाणु हथियारों के उन्मूलन का प्रचार सभी देशों को करना चाहिए। यह खुशी की बात है कि परमाणु हथियारों के निषेध पर हुई संधि 50 देशों ने अनुमोदित की है और यह अगले साल जनवरी से लागू होगी। संधि वास्तव में ऐतिहासिक है और इससे मानवता का भविष्य और अच्छी तरह से विकसित होगा। बकौल दलाईलामा, यह संधि हथियारों को दूर करने, दुनिया में वास्तविक और स्थायी शांति स्थापित करने की दिशा में अच्छा प्रयास है।

धर्मगुरु ने कहा कि उनका विश्वास है कि हमारी पीढ़ी एक नए युग की दहलीज पर आ गई है। हमारे विशाल और विविध मानव परिवार को शांति के साथ रहना सीखना चाहिए। कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र और संबंधित राष्ट्रों की सराहना करते हैं, जिन्होंने संधि को संभव बनाया है। संधि के जुड़े देशों ने पहली बार भविष्य में विश्व शांति स्थापित करने की दिशा में पहला सबसे बड़ा एवं ऐतिहासिक कदम उठाया है, लेकिन अब समय है कि विश्व में सभी देश विश्वशांति के लिए इस तरह के कदम उठाएं। धर्मगुरु ने कहा, उन्हें विश्वास है कि इसे लेकर योजना के तहत काम होगा और लाभों के बारे में लोगों को जागरूक व शिक्षित किया जाएगा। परमाणु हथियारों से मुक्त विश्व बनाने में हर कोई रुचि दिखाएगा और एक परमाणु मुक्त दुनिया हर किसी के हित में है। उन्होंने सभी सरकारों से आग्रह है कि इस संधि को लागू करें।

गौरतलब है कि दलाई लामा ने पिछले दिनों एक कार्यक्रम में कहा था कि वर्षों से भारतीयों ने शांत रहने और विश्लेषणात्मक ध्यान के माध्यम से दिमाग का पता लगाया और प्रशिक्षित किया है। आधुनिक शिक्षा जो पश्चिम में उत्पन्न हुई, इसमें हमारी भावनाओं से निपटने की कोई समझ शामिल नहीं है। नतीजतन उच्च शिक्षित लोग परमाणु हथियारों सहित तेजी से परिष्कृत हथियारों के डिजाइन और निर्माण में शामिल हो रहे हैं। इन आविष्कारों के लिए खुफिया और तकनीकी सरलता की आवश्यकता होती है, लेकिन उनका उत्पादन पूरी की है।

उन्होंने प्रतिभाशाली मानव मन में क्रोध, भय और चिंता की विनाशकारी भावनाओं का समाप्त करने का आह्वान किया था। दलाई लामा ने कहामहात्मा गांधी ने ईमानदारी से अहिंसा का मार्ग अपनाया और उचित समय पर दुनिया भर में कई लोगों ने उनके उदाहरण का अनुसरण किया। अफ्रीका में नेल्सन मंडेला और अमेरिका में मार्टिन लूथर किंग इसके उदाहरण भी रहे हैं। उन्होंने कहा 21वीं सदी में हमें अहिंसा और करुणा के प्राचीन भारतीय ज्ञान को बढ़ावा देने और इसे आधुनिक शिक्षा के साथ संयोजित करने का प्रयास करना चाहिए।


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