पाक और तुर्की के आतंकियों के चलते आर्मेनिया अजरबेजान के बीच ताजा संघर्षविराम पर भी संकट, फिर गोलाबारी
पाकिस्तान और तुर्की के आतंकियों के चलते आर्मेनिया और अजरबेजान के बीच बीते शनिवार को हुआ ताजा संघर्षविराम भी खतरे में पड़ गया है। नागोरनो-कराबाख को लेकर दोनों देशों ने फिर एक-दूसरे पर गोलाबारी की और रॉकेट दागे। ताजा हाल जानने के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट...
बाकू, रायटर। पाकिस्तान और तुर्की के आतंकियों के चलते आर्मेनिया और अजरबेजान के बीच बीते शनिवार को हुआ ताजा संघर्षविराम भी खतरे में पड़ गया है। नागोरनो-कराबाख को लेकर दोनों देशों ने फिर एक-दूसरे पर गोलाबारी की और रॉकेट दागे। रूस की मध्यस्थता में हुए इस संघर्षविराम के उल्लंघन का दोनों देशों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाया है। अब तक इस लड़ाई में सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है।
संघर्ष नहीं थमने की वजह पाक और तुर्की
बताया जाता है कि संघर्ष न थमने की वजह पाकिस्तान और तुर्की हैं। दोनों देशों ने अपने जिहादी लड़ाके अजरबेजान की सेना की मदद के लिए भेज रखे हैं। ये लड़ाके लड़ाई रुकने देना नहीं चाहते। पाकिस्तान और तुर्की ने अजरबेजान को हर तरह के समर्थन का एलान भी किया है। अजरबेजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने दोनों देशों का आभार जताया है। सितंबर से जारी दोनों देशों के टकराव में अभी तक एक हजार से ज्यादा जानें जा चुकी हैं।
दोनों देश बातचीत के लिए रूस जाने को तैयार
सोवियत संघ का हिस्सा रहे दोनों देशों के रूस से अच्छे संबंध हैं और वे उसकी मध्यस्थता को स्वीकार करते हैं। आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशीन्यान और अजरबेजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने कहा है कि वे बातचीत के लिए मॉस्को जाने को तैयार हैं। मुस्लिम बहुल अजरबेजान के नागोरनो-कराबाख इलाके में आर्मेनियाई ईसाइयों का बसा होना दशकों पुराने इस विवाद की जड़ है। यह इलाका आर्मेनिया से लगा हुआ है और यहां पर अजरबेजान का शासन नहीं चल पाता।
मारे गए 729 सैनिक
सितंबर से जारी ताजा संघर्ष में नागोरनो-कराबाख के 729 सैनिक मारे गए हैं, वहीं 36 नागरिकों को भी जान से हाथ धोना पड़ा है। अजरबेजान ने कहा है कि उसके 61 नागरिक मारे गए हैं लेकिन अपने सैन्य नुकसान के बारे में उसने कुछ नहीं बताया है। दोनों पक्ष एक-दूसरे के नागरिक ठिकानों पर भी हमले कर रहे हैं जिससे नागरिकों को जान-माल का भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
दुनिया कर चुकी है शांति की अपील
अजरबेजान के महाधिवक्ता कार्यालय ने कहा है कि रविवार दोपहर आर्मेनिया ने संघर्ष क्षेत्र से 300 किलोमीटर दूर खीजी जिले में तेल पाइपलाइन पर मिसाइल हमला किया। लेकिन मिसाइलों के पाइपलाइन से 250 मीटर दूर गिरने से कोई नुकसान नहीं हुआ। दोनों देशों के संघर्ष को रोके जाने की अपील रूस, अमेरिका और फ्रांस कर चुके हैं लेकिन प्रभाव अभी जमीन पर नहीं दिखाई दे रहा।