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कोरोना महामारी को रोका जा सकता है अगर 70 फीसद लोग बाहर हमेशा पहनें मास्क, रिसर्च में दावा

दुनिया के कई देशों में कोरोना महामारी की दूसरी लहर आ चुकी है। ऐसे में कोराना वैक्सीन के आने तक लोगों को मास्क लगाने को लेकर खुद ही सजग होना होगा। शोध के मुताबिक कोरोना को रोका जा सकता है अगर 70% लोग हमेशा मास्क पहनें।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 01:11 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 01:23 PM (IST)
कोरोना महामारी को रोका जा सकता है अगर 70 फीसद लोग बाहर हमेशा पहनें मास्क, रिसर्च में दावा
बाहर जाने पर लगातार मास्क पहनने से कम हो सकता है कोरोना का प्रभाव। (फोटो: एएफपी)

सिंगापुर, प्रेट्र। कोरोना वायरस महामारी के कहर को रोका जा सकता है अगर 70 फीसद लोग हमेशा बाहर रहने पर मास्क पहनें। इस रिसर्च की समीक्षा के अनुसार COVID-19 महामारी को रोका जा सकता है, यदि कम से कम 70 प्रतिशत जनता लगातार मास्क पहने। शोध में दावा किया गया है कि मास्क का उपयोग कोरोना वायरस की प्रभावशीलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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फिजिक्स ऑफ फ्लुइड्स नामक जर्नल में प्रकाशित इस शोध ने फेस मास्क पर किए गए अध्ययनों का आकलन किया है और इस पर महामारी वैज्ञानिकों ने रिपोर्टों की समीक्षा की कि क्या फेस मास्क, वायरस फैलाने वाले लोगों की संख्या को कम करते हैं। 

दुनियाभर के कई देशों में कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। यूरोप के कई देशों में कोरोना की दूसरी लहर के बाद हालात बिगड़ रहे हैं। इस बीच कोरोना की वैक्सीन को लेकर भी कई अच्छी खबरें आ रही हैं। कोरोना की वैक्सीन आने तक लोगों को लापरवाही ना बरतने के लिए कहा गया है। इसके लिए लोगों को हमेशा फेस पर मास्क लगाने, शारीरिक दूरी का पालन करने की हिदायत दी गई है। दुनिया में जब तक कोरोना वैक्सीन नहीं आ जाती तब तक मास्क की वैक्सीन है, ऐसी अपील कई बार की जा चुकी है।

सिंगापुर के नेशनल यूनिवर्सिटी के संजय कुमार सहित वैज्ञानिकों का कहना है कि अत्यधिक प्रभावकारी फेस मास्क जैसे सर्जिकल मास्क इत्यादि का अगर 70 फीसद लोग हमेशा बाहर उपयोग करें तो कोरोना वायरस महामारी को रोका जा सकता है।वैज्ञानिकों ने कहा है कि कम कुशल कपड़े वाले मास्क भी कोरोना वायरस के फैलने की गति को धीमा कर सकता है।

वैज्ञानिकों के अनुसार, फेस मास्क फंक्शन के एक प्रमुख पहलू में नाक और मुंह से निकाले गए द्रव की बूंदों का आकार शामिल होता है, जब कोई व्यक्ति बात करता है, छींकता है, खांसी करता है, या यहां तक ​​कि बस सांस लेता है। उन्होंने कहा कि बड़ी बूंदें, 5-10 माइक्रोन के आकार के साथ, सबसे आम हैं। 5 माइक्रोन से नीचे की छोटी बूंदें संभवतः अधिक खतरनाक हैं।


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