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जानिए- चीन से आए किस बयान से बढ़ सकती हैं करीब सौ देशों की मुश्किलें, पढ़ें पूरा मामला

चीन के सीडीसी के निदेशक के बयान ने उन देशों में खलबली मचा दी है जिन्‍होंने चीन की वैक्‍सीन के दम पर अपना टीकाकरण अभियान छेड़ा है। इतना ही नहीं इनमें भी अधिक परेशान होने वाले वो देश हैं जिन्‍होंने ये वैक्‍सीन खरीदी है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 06:12 PM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 06:23 PM (IST)
जानिए- चीन से आए किस बयान से बढ़ सकती हैं करीब सौ देशों की मुश्किलें, पढ़ें पूरा मामला
अधिक कारगर नहीं है चीन की बनाई कोरोना वैक्‍सीन

लंदन (एजेंसियां)। चीन के रोग नियंत्रण केंद्र (सीडीसी) के निदेशक गाओ फू द्वारा स्‍वदेशी वैक्‍सीन को कम कारगर बताने के बाद उन देशों का चिंता में आना निश्चित हो गया है जो इसका इस्‍तेमाल कर रहे हैं। इन देशों की संख्‍या एक या दो नहीं बल्कि इससे कहीं अधिक है। रॉयटर्स ने चीन के विदेश मंत्री के बयान के हवाले से बताया है कि मार्च 2021 तक 60 देशों ने चीन की बनाई कोरोना वैक्‍सीन को इस्‍तेमाल की मंजूरी दी थी। इसके अलवा 69 विकासशील देशों में चीन ने अपनी स्‍वदेशी वैक्‍सीन को आपात इस्‍तेमाल के तौर पर डोनेट किया था। इसके अलावा 43 देशों में चीन ने व्‍यवसायिक तौर पर चीन ने स्‍वदेशी कोरोना वैक्‍सीन को एक्‍सपोर्ट किया था। जिन देशों में चीन ने दान स्‍वरूप ये वैक्‍सीन उपलब्‍ध करवाई उनमें से एक पाकिस्‍तान भी है।

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पाकिस्‍तान की ही बात करें तो वहां पर चल रहा वैक्‍सीनेशन प्रोग्राम पूरी तरह से चीन की दान में दी गई वैक्‍सीन और विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की कोवैक्‍स स्‍कीम के तहत उपलब्‍ध कराई जाने वाली वैक्‍सीन पर निर्भर है। जहां तक डब्‍ल्‍यूएचओ की वैक्‍सीन की बात है तो पाकिस्‍तान फिलहाल इसको पाने की कतार में ही है। संभावना जताई जा रही है कि जुलाई तक उसको कोवैक्‍स के तहत वैक्‍सीन की कुछ लाख डोज उपलब्‍ध हो जाएंगी।

बहरहाल, पहले आपको बता दें कि चीन के सीडीसी डायरेक्‍टर ने आखिर कहा क्‍या था। दरअसल, उन्‍होंने कहा है कि स्‍वदेशी वैक्‍सीन कोरोना वायरस पर अधिक कारगर नहीं है। चीन की सरकार इसको अधिक कारगर बनाने की कवायद में जुटी है। उन्‍होंने ये भी कहा कि सरकार इस बात पर भी विचार कर रही है कि क्‍या अलग-अलग वैक्‍सीन को टीकाकरण के लिए इस्‍तेमाल किया जा सकता है या नहीं।

सीडीसी निदेशक के मुताबिक चीन की ये वैक्‍सीन पारंपरिक तरीके से विकसित की गई है। उन्‍होंने सरकार को पश्चिमी देशों द्वारा वैक्‍सीन को विकसित करने के लिए इस्‍तेमाल की जा रही एमआरएनए तकनीक अपनाने की सलाह भी दी थी। आपको यहां पर ये भी बता दें कि इस बयान के अगले ही दिन गाओ फू ने चीन की सरकार के मुखपत्र ग्‍लोबल टाइम्‍स को एक इंटरव्‍यू दिया था जिसमें वो अपने दिए हर बयान से पलट गए थे। अखबार ने लिखा कि गाओ फू ने ऐसा कुछ नहीं कहा था और उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर मीडिया में पेश किया गया था। इसके बाद गाओ भी अपने बयान से पलट गए हैं।

गौरतलब है कि चीन के अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स ने पिछले माह कहा था कि सिनोवैक कंपनी की कोरोना वैक्‍सीन नवजात और टीनेजर्स के लिए भी सुरक्षित है। अखबार ने कंपनी के हवाले से लिखा था कि वैक्‍सीन के 3-17 वर्ष की आयु के बीच में किए गए पहले और दूसरे फेज के क्‍लीनिकल ट्रायल के बाद इसको इस उम्र के लिए सुरक्षित पाया गया है। अखबार के मुताबिक सिनोविक कंपनी के मेडिकल डायरेक्‍टर जेंग गैंग ने इसके सुरक्षित होने की घोषणा की थी।

उन्‍होंने ये भी कहा था कि इसके साइड इफेक्‍ट की दर 23-29 फीसद तक है। समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक ब्राजील के वैज्ञानिकों ने चीन की फार्मा कंपनी सिनोवैक के कोविड रोधी टीकों के कम असरदार होने के चलते सवाल उठाए थे। उनके मुताबिक इसकी दर महज 50.4 फीसद ही थी। सीडीसी डायरेक्‍टर के बयान ने अब इसकी कहीं न कहीं पुष्टि कर दी है। ब्राजील के तथ्‍यों की पुष्टि और गाओ के बयान ने उन देशों की चिंता को बढ़ाने का काम जरूर किया है जहां चीन की वैक्‍सीन पहुंची हैं।

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