भारत के रणनीतिक जवाब से चीनी सेना हैरान, ठंड और बर्फबारी में चीनी सेना का टिकना मुश्किल
India-China Tension चीन की सेना पीछे हटने को तैयार नहीं है उलटे वह भारतीय सेना पर पीछे जाने के लिए दबाव बना रही है।
एम्सटर्डम, एएनआइ। लद्दाख में भारत के अप्रत्याशित रणनीतिक जवाब से चीन बुरी तरह से फंस गया है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के अतिक्रमण के बाद वह खुद को बालू के दलदल में फंसे जैसी स्थिति में पा रहा है। उसने उन स्थानों पर कब्जा किया है, जहां पर आने वाले ठंड और बर्फबारी के मौसम में टिक पाना बहुत मुश्किल होगा। यह बात यूरोप के थिंक टैंक यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज ने कही है।
एलएसी पर भारतीय सेना ने अपनी स्थिति की मजबूत
संस्था के अनुसार इस विवाद में भारतीय सेनाओं ने न केवल पैंगोंग सो झील के दक्षिणी किनारे के ऊंचाई वाली रणनीतिक ठिकानों पर मोर्चा संभाल लिया है, बल्कि उत्तरी किनारे पर भी अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। इससे वह चीन के कब्जे वाले पूरे इलाके पर नजर रखने में कामयाब हो रहा है।
चीन की सेना कुछ ऊंचाई वाले इलाकों पर कब्जे की फिराक में है
विवाद आगे बढ़ने पर चीन को इसका सीधा खामियाजा उठाना पड़ेगा। भारतीय सेना ऊंचे स्थानों पर कम तैनाती करके भी फायदे की स्थिति में रहेगी। हालात को भांपकर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) अब हैरान है और वह अब पैंगोंग सो झील के दक्षिणी किनारे के कुछ ऊंचाई वाले इलाकों पर कब्जे की फिराक में है। इस बाबत 29-30 अगस्त की रात और एक सितंबर को उसकी हरकतों को भारतीय सेना ने नाकाम किया था। अपनी स्थिति में सुधार के लिए पीएलए अब पैंगोग सो के दक्षिण में चुशूल और स्पैंगुर दर्रे तक पहुंचने की फिराक में है। जाहिर है कि इलाके में पर्याप्त संख्या में मौजूद भारतीय सेना पीएलए को आगे बढ़ने से रोकेगी। इस दौरान दोनो सेनाओं के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है।
चीन की सेना पीछे हटने को तैयार नहीं
29-30 अगस्त और एक सितंबर को इलाके में वास्तव में क्या हुआ, यह अभी स्पष्ट नहीं है। दोनों पक्ष खुलकर कुछ बताने से बच रहे हैं, लेकिन यह तय है कि दोनों दिनों की घटनाओं के बाद इलाके में तनाव और बढ़ा है। भारतीय सेना प्रमुख जनरल नरवाने वहां का दौरा कर इस बात की पुष्टि कर चुके हैं। हालांकि दोनों देश बातचीत के जरिये समस्या का समाधान करने की बात कह रहे हैं और वार्ता के दौर भी चल रहे हैं, लेकिन जमीनी हालात नहीं बदल रहे। चीन की सेना पीछे हटने को तैयार नहीं है, उलटे वह भारतीय सेना को पीछे जाने के लिए दबाव बना रही है।