चीन ने अफगानिस्तान भेजी मानवीय सहायता, जानें पहली खेप में क्या-क्या पहुंचा काबुल?
अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी अमीर खान मुत्ताकी (Amir Khan Muttaqi) ने रविवार को चीनी राजदूत वांग यू से मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों और संकटग्रस्त देश को मानवीय सहायता के समन्वय के मुद्दों पर चर्चा की।
काबुल, एएनआइ। चीन से कंबल और गर्म कपड़ों वाली मानवीय सहायता की पहली खेप बुधवार को काबुल पहुंची। खामा न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, इसे शरणार्थियों और प्रत्यावर्तित के कार्यवाहक मंत्री खलील-उर रहमान हक्कानी को सौंपा गया। जैसे-जैसे सर्दी का मौसम नजदीक आ रहा है, आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (आईडीपी) को कंबल और गर्म कपड़ों सहित सहायता वितरित की जाएगी।
काबुल में चीनी राजदूत वांग यू ने खलील-उर रहमान हक्कानी के साथ अपनी बैठक में कहा कि उनका देश सर्दी का मौसम आने से पहले अफगान लोगों को मानवीय सहायता की आपूर्ति करेगा। इससे पहले, अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी अमीर खान मुत्ताकी ने रविवार को चीनी राजदूत वांग यू से मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों और संकटग्रस्त देश को मानवीय सहायता के समन्वय के मुद्दों पर चर्चा की।
रिपोर्ट के अनुसार, शरणार्थियों और प्रत्यावर्तन मंत्रालय के माध्यम से अफगानिस्तान में जरूरतमंद लोगों को सहायता राहत वितरित की जाएगी। इससे चीन ने अफगानिस्तान के लोगों को 1.5 मिलियन (15 लाख) अमरीकी डालर बिना शर्त सहायता और कोरोना वायरस टीकों की एक मिलियन खुराक देने करने का वादा किया था।
तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद चीन उन कुछ देशों में से एक है जो संगठन से जुड़े हुए हैं। इस बीच, तालिबान शासन भविष्य में बड़े निवेश के लिए चीन की ओर देख रहा है। इससे पहले तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा था कि समूह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) में शामिल होना चाहता है। निक्केई एशिया की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन 2018 से अफगानिस्तान में संभावित परियोजनाओं पर तालिबान को साधने की कोशिश कर रहा है।
अफगान संपत्तियों से रोक हटाए अमेरिका
वहीं, अफगानिस्तान की कई महिला टीचरों और स्वास्थ्यकर्मियों ने अमेरिका और अन्य संगठनों से अफगान संपत्तियों से रोक हटाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अरबों डालर को जारी किया जाए, जिससे उनके वेतन भुगतान में मदद मिल सके। बता दें कि तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान में वित्तीय संकट खड़ा हो गया है। विदेशी फंड पर रोक लगा दी गई है।