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Year Ender 2021: जलवायु परिवर्तन पर महासम्‍मेलन, COP 26 की अहम बैठक में नदारद रहे चीन, रूस और तुर्की

इटली की राजधानी रोम में हुए जी-20 सम्‍मेलन और ग्‍लासगो में हुए जलवायु परिवर्तन के महासम्‍मेलन में चीन रूस और तुर्की नदारद रहे। इसको लेकर अंतरराष्‍ट्रीय राजनीति में अटकलों का बाजार गरम है। कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Fri, 31 Dec 2021 03:08 PM (IST)Updated: Fri, 31 Dec 2021 05:07 PM (IST)
Year Ender 2021: जलवायु परिवर्तन पर महासम्‍मेलन, COP 26 की अहम बैठक में नदारद रहे चीन, रूस और तुर्की
जलवायु परिवर्तन COP 26 की अहम बैठक में नदारद रहे चीन, रूस और तुर्की। फाइल फोटो।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। नवंबर में स्काटलैंड के ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ-द्वितीय ने शिरकत किया। महारानी एलिजाबेथ (95) शिखर सम्मेलन में वैश्विक नेताओं के साथ जुड़ी। यह सम्मेलन पिछले साल नवंबर में ही होना था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे टाल दिया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन समेत करीब 120 राष्ट्राध्यक्षों ने इसमें हिस्सा लिया। ग्लासगो क्लाइमेट पैक्ट, ग्रीनहाउस गैसों के लिए सबसे बड़े ज़िम्मेदार जीवाश्म ईंधन और कोयले के इस्तेमाल को कम करने की स्पष्ट योजना बनाने वाला पहला जलवायु समझौता था।

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1- इस समझौते में तत्काल अधिक कार्बन उत्सर्जन में कटौती और विकासशील देशों के लिए ज्‍यादा मदद का वादा किया गया था, ताकि गरीब देशों को जलवायु पर पड़ने वाले प्रभावों के अनुकूल बनाने में मदद की जा सके। लेकिन वर्तमान समय में की जा रहीं कोशिशें धरती के तापमान की वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लक्ष्य के लिए पर्याप्त नहीं है।

2- इसके पूर्व वार्ता के मसौदे में कोयले के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से समाप्‍त करने की प्रतिबद्धता को शामिल किया गया था, लेकिन भारत के विरोध जताने के बाद इसे हटा दिया गया। आखिरकार कुछ अन्य देशों की अभिव्यक्तियों के बीच, यह सहमति बनी कि ये देश कोयले के इस्तेमाल को पूरी तरह खत्‍म नहीं करके कम करेंगे।

3- इस सम्‍मेलन में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ग्लासगो में हुआ COP26 जलवायु परिवर्तन के अंत की शुरुआत साबित होगा। उन्‍होंने कहा कि वह तय लक्ष्‍यों तक पहुंचने के लिए अथक परिश्रम करते रहेंगे। प्रधानमंत्री जानसन ने कहा कि 'आने वाले वर्षों में और भी बहुत कुछ करना बाकी है। उन्‍होंने कहा कि यह समझौता एक बड़ा कदम है। जानसन ने कहा कि यह गंभीर रूप से हमारे पास कोयले के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से कम करने की बात करने वाला पहला अंतरराष्ट्रीय करार है। उन्‍होंने कहा कि यह ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री तक सीमित करने का एक बेहतर रोडमैप है।

4- अमेरिकी जलवायु दूत जान केरी ने कहा कि वास्तव में हम जलवायु से पैदा होने वाली अराजकता से बचने, स्वच्छ हवा, सुरक्षित पानी और एक स्वस्थ ग्रह हासिल करने के लक्ष्य की ओर पहले से कहीं ज्यादा करीब हैं। उन्होंने कहा कि हमारा यह ग्रह एक नाज़ुक धागे के साथ लटक रहा है। हम अभी भी जलवायु आपदा के दरवाजे पर खड़े हैं और दस्तक दे रहे हैं। यह आपातकालीन मोड में जाने का वक्‍त है, वरना नेट जीरो तक पहुंचने की हमारी संभावना स्वयं शून्य हो जाएगी।

5- इस समझौते में तत्काल अधिक कार्बन उत्सर्जन में कटौती और विकासशील देशों के लिए ज्‍यादा मदद का वादा किया गया था, ताकि गरीब देशों को जलवायु पर पड़ने वाले प्रभावों के अनुकूल बनाने में मदद की जा सके। लेकिन वर्तमान समय में की जा रहीं कोशिशें धरती के तापमान की वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लक्ष्य के लिए पर्याप्त नहीं है। इसके पूर्व वार्ता के मसौदे में कोयले के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से समाप्‍त करने की प्रतिबद्धता को शामिल किया गया था, लेकिन भारत के विरोध जताने के बाद इसे हटा दिया गया।

जलवायु शिखर सम्‍मेलन में नहीं पहुंचे पुतिन और चिनफ‍िंग

इटली की राजधानी रोम में हुए जी-20 सम्‍मेलन और ग्‍लासगो में हुए जलवायु परिवर्तन के महासम्‍मेलन में चीन, रूस और तुर्की नदारद रहे। इसको लेकर अंतरराष्‍ट्रीय राजनीति में अटकलों का बाजार गरम रहा। कई तरह के कयास लगाए गए। इन नेताओं में सबसे ज्‍यादा चर्चा चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफ‍िंग की अनुपस्थित को लेकर थी। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जलवायु शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए। क्रेमलिन के प्रवक्ता ने कहा था कि जलवायु परिवर्तन रूस के लिए एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा था कि दुर्भाग्य से पुतिन ग्लासगो के लिए उड़ान नहीं भरेंगे। मास्को में एक अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा मंच पर बोलते हुए रूसी नेता ने यात्रा करने के अपने निर्णय में एक कारक के रूप में कोरोना वायरस महामारी का हवाला दिया था। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने इस सम्‍मेलन में शामिल होने से इनकार कर दिया था। तुर्की के राष्ट्रपति ने इसकी वजह सुरक्षा कारणों को बताया। दिलचस्प बात यह है कि तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन जी-20 सम्मेलन में रोम में ही थे। इस दौरान उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात की और फिर उनका वहां से स्काटलैंड के ग्लासगो में जारी काप 26 सम्मेलन में पहुंचने का कार्यक्रम था।


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