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नेपाल के पीएम को रिश्वत की मोटी रकम देकर चीन ने अपने जाल में फंसाया, ओली की संपत्ति में भारी वृद्धि

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की संपत्ति में पिछले कुछ सालों के दौरान भारी वृद्धि हुई है। विदेशों में भी उनके खातों का पता चला है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 06:20 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jul 2020 08:08 PM (IST)
नेपाल के पीएम को रिश्वत की मोटी रकम देकर चीन ने अपने जाल में फंसाया, ओली की संपत्ति में भारी वृद्धि
नेपाल के पीएम को रिश्वत की मोटी रकम देकर चीन ने अपने जाल में फंसाया, ओली की संपत्ति में भारी वृद्धि

काठमांडू, एएनआइ। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की संपत्ति में पिछले कुछ सालों के दौरान भारी वृद्धि हुई है। विदेशों में भी उनके खातों का पता चला है। इस भ्रष्टाचार में चीनी राजदूत उनके बड़े मददगार हैं। यह चीन की कोई नई चाल नहीं है। वह नेपाल जैसे कमजोर अर्थव्यवस्था वाले देशों में घुसने के लिए वहां के भ्रष्ट नेताओं का इस्तेमाल करता रहा है। यह बात ग्लोबल वॉच एनालिसिस की ताजा रिपोर्ट में कही गई है। 

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ओली और उनकी पत्‍नी का जेनेवा स्थित मिराबॉड बैंक में खाता होने का आरोप 

रिपोर्ट के लेखक रोलांड जैकार्ड के मुताबिक, इसके पीछे चीन के दो उद्देश्य हैं। पहला, उस देश में चीनी कंपनियों के व्यावसायिक हितों को आगे बढ़ाना। दूसरा, उस देश की नीतियों को प्रभावित करना ताकि चीन का दीर्घकालिक प्रभाव कायम रहे।

रिपोर्ट के अनुसार, ओली का जेनेवा स्थित मिराबॉड बैंक में भी खाता है। इस बैंक में ओली ने लांग टर्म डिपॉजिट और शेयर्स के तौर पर 5.5 मिलियन डॉलर (करीब 48 करोड़ रुपये) निवेश कर रखा है। इससे ओली और उनकी पत्नी राधिका शाक्य को सालाना करीब 3.5 करोड़ रुपये का मुनाफा होता है। हालांकि बैंक ने अपने यहां ओली के नाम से कोई खाता नहीं होने की बात कही है। रिपोर्ट में चीन की मदद से ओली के भ्रष्ट कारनामों के कई उदाहरण भी गिनाए गए हैं।

नियमों को दरकिनार कर चीनी परियोजनाओं को मंजूरी दी

2015-16 में नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल में ओली ने चीन के तत्कालीन राजदूत वु चुन्ताई की मदद से कंबोडिया के टेलीकम्युनिकेशन सेक्टर में निवेश किया था। ओली के करीबी नेपाली कारोबारी अंग शेरिंग शेरपा ने यह सौदा कराया था। इसमें कंबोडिया के प्रधानमंत्री हू सेन और चीनी राजनयिक बो जियांगओ ने भी मदद की थी। ओली अपने दूसरे कार्यकाल में भी भ्रष्टाचार के ऐसे ही आरोपों से घिरे हुए हैं। उन्होंने नियमों को दरकिनार कर चीनी परियोजनाओं को मंजूरी दी।

दिसबंर 2018 में एक 'डिजिटल एक्शन रूम' के निर्माण का ठेका बिना किसी निविदा के चीनी कंपनी हुआवे को दे दिया गया। जबकि, सरकारी कंपनी नेपाल टेली कम्युनिकेशन इस काम को बखूबी कर सकती थी। जब हल्ला मचा और इसकी जांच कराई गई तो पता चला कि ओली के राजनीतिक सलाहकार विष्णु रिमल के बेटे ने यह सौदा कराने में अहम भूमिका निभाई थी ताकि उसे वित्तीय लाभ मिल सके। 

भ्रष्‍टाचार के आरोपों को लेकर छात्रों ने किया था आंदोलन 

एक अन्य उदाहरण मई 2019 का है, जब नियमों को नजरअंदाज कर मनमाने तरीके से चीनी कंपनियों को करोड़ों के ठेके दे दिए गए। ओली की इन्हीं करतूतों के चलते गत जून में छात्र सड़कों पर उतर आए थे। वे कोरोना वायरस से निपटने के तौर-तरीकों से गुस्से में थे। छात्रों का आरोप था कि चीन से जो पीपीई किट, टेस्ट किट आदि खरीदे गए, वे घटिया ही नहीं, महंगे भी हैं। इस मामले में नेपाल के स्वास्थ्य मंत्री के अलावा ओली के कई करीबी सलाहकारों के खिलाफ रिश्वतखोरी की जांच चल रही है। भ्रष्टाचार के ऐसे आरोपों से नेपाल में ओली और उनके चीनी सहयोगियों के लिए विकट स्थिति पैदा होती जा रही है।


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