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Hambantota port: चीनी जासूसी पोत को लेकर भारत के दबाव में झुके श्रीलंका से चीन ने की तत्काल बैठक की मांग

चीन का जासूसी पोत हंबनटोटा बंदरगाह से भारत के दक्षिणी हिस्से की अधिकांश मिसाइल व सैन्य गतिविधियों के अलावा ढांचागत परियोजनाओं पर करीबी निगरानी करने की क्षमता रखता है। इसी के चलते भारत लगातार श्रीलंका पर दबाव बना रहा है कि चीनी पोत के हंबनटोटा पहुंचने पर रोक लगाई जाए।

By Amit SinghEdited By: Published: Mon, 08 Aug 2022 04:49 AM (IST)Updated: Mon, 08 Aug 2022 04:49 AM (IST)
Hambantota port: चीनी जासूसी पोत को लेकर भारत के दबाव में झुके श्रीलंका से चीन ने की तत्काल बैठक की मांग
हंबनटोटा बंदरगाह पर एक सप्ताह रहेगा चीनी पोत

कोलंबो, एजेंसियां: चीनी दूतावास ने हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी पोत के आवागमन को लेकर श्रीलंकाई अधिकारियों से तत्काल प्रभाव से बैठक बुलाने की मांग की है। सुरक्षा कारणों के मद्देनजर भारत के बढ़ते दबाव के बीच बीते रोज कोलंबो में चीनी दूतावास को लिखे एक पत्र में श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने अनुरोध किया था कि हंबनटोटा में चीनी पोत युआन वांग 5 के आगमन की तारीख को इस मामले पर आगे की वार्ता तक टाल दिया जाए।

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चीन का यह जासूसी पोत हंबनटोटा बंदरगाह से भारत के दक्षिणी हिस्से की अधिकांश मिसाइल व सैन्य गतिविधियों के अलावा ढांचागत परियोजनाओं पर करीबी निगरानी करने की क्षमता रखता है। इसी के चलते भारत लगातार श्रीलंका पर दबाव बना रहा है कि चीनी पोत के हंबनटोटा पहुंचने पर रोक लगाई जाए। प्रस्तावित कार्यक्रम मुताबिक चीनी अंतरिक्ष और उपग्रह ट्रैकिंग अनुसंधान पोत को 11 से 17 अगस्त तक श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर लंगर डालना है। कुछ श्रीलंकाई समाचार पोर्टलों ने यह भी बताया कि श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कोलंबो द्वारा नियोजित डाकिंग को स्थगित करने की मांग के बाद चीन के राजदूत क्यूई जेनहोंग के साथ बंद कमरे में बैठक की। लेकिन राष्ट्रपति कार्यालय ने बैठक को लेकर मीडिया में आई खबरों का खंडन किया।

श्रीलंका में राजनीतिक उठापटक के बीच 12 जुलाई को तत्कालीन सरकार ने हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी पोत कीडाकिंग को मंजूरी दे दी थी। चीनी पोत को ईंधन भरने और पुन:पूर्ति के लिए श्रीलंकाई बंदरगाह पर सप्ताहभर डाक करने की उम्मीद थी। हंबनटोटा के बंदरगाह को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। राजपक्षे परिवार के गृहनगर में स्थित इस बंदरगाह को बड़े पैमाने पर मिले चीनी ऋण से विकसित किया गया है।

13 जुलाई को चीन से चला चीनी पोत ताइवान के पास पहुंचा

समाचार एजेंसी रायटर के अनुसार एक श्रीलंकाई परामर्श फर्म बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव श्रीलंका ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि युआन वांग 5 के ईधन लेने के बाद 17 अगस्त को रवाना होने की संभावना है। इसने आगे कहा कि चीनी पोत एक सप्ताह के लिए हंबनटोटा में रहेगा। अगस्त और सितंबर में यह हिंद महासागर क्षेत्र के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में अंतरिक्ष ट्रैकिंग, उपग्रह नियंत्रण और अनुसंधान ट्रैकिंग का संचालन करेगा। अनुसंधान स्ट्रोक सर्वेक्षण पोत के रूप में नामित युआन वांग 5 को 2007 में बनाया गया था और इसकी क्षमता 11,000 टन है। ये पोत 13 जुलाई को चीन के जियानगिन से रवाना हुआ था और वर्तमान में ताइवान के करीब है, जहां चीन अमेरिकी हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी को स्व-शासित द्वीप का दौरा करने की अनुमति देने के लिए ताइपे के खिलाफ आक्रामक मुद्रा में लाइव-फायर अभ्यास कर रहा है।


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