Year Ender 2021: अचानक पीला पड़ा चीन का बीजिंग शहर, चाइना डस्ट ने पड़ोसियों समेत अमेरिका को किया परेशान
इस वर्ष मार्च के दूसरे पखवाड़े में चीन की राजधानी बीजिंग में इधर रेत का भयंकर तूफान उठा था। इसने पूरे शहर को ढक लिया था। इसे दशक का सबसे बड़ा तूफान कहा गया। इसकी खास बात यह थी कि इससे शहर का आसमान पीले-नारंगी रंग का हो गया था।
नई दिल्ली/बीजिंग, जेएनएन। इस वर्ष मार्च के दूसरे पखवाड़े में चीन की राजधानी बीजिंग में रेत का भयंकर तूफान उठा था। इस तूफान ने पूरा शहर को ढक लिया था। इसे दशक का सबसे बड़ा तूफान कहा गया। इसकी खास बात यह थी कि इससे शहर का आसमान पीले-नारंगी रंग का हो गया था। इस तरह का पीला तूफान चीन में पहली बार नहीं आया है, बल्कि यह गोबी मरुस्थल से लगभग हर साल ही आता है, लेकिन इस बार इस बवंडर की तीव्रता ज्यादा रही।
1- चीन के मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक दशक का सबसे विनाशकारी तूफान इनर मंगोलिया के रेगिस्तान से आया था और बीजिंग के अलावा हेबेई, गंसू समेत कई शहरों को चपेट में ले लिया था। मंगोलिया में हालात और भी खराब थे, जहां कम से कम 341 लोग तूफान के बाद से गुमशुदा हो गए थे। बता दें कि चीन का यह पीला तूफान पड़ोसी देशों को भी जब-तब डराता रहा है। वर्ष 2020 के अक्टूबर में भी मरुस्थल से ऐसी ही निवाशकारी रेतीली हवाएं चली थीं।
2- यलो डस्ट असल में चीन और इनर मंगोलिया के रेगिस्तान से उड़ने वाली धूल थी। इसे चाइना डस्ट स्टार्म या एशियन डस्ट भी कहा जाता है। हवा से रेत के हल्के कण उड़ते हुए चीन से होते हुए उत्तर और दक्षिण कोरिया और जापान के आसमान को भी अपनी चपेट में ले लिया था। आंधी इतनी तेज होती है कि कई बार यह धूल अमेरिका के वायु स्तर पर भी असर डालती है। यह मौसम विज्ञानियों के लिए भी हैरत की बात थी कि सर्दियों की शुरुआत में चलने वाली ये आंधी इस बार मार्च में क्यों आ गई।
3- चीन इस तूफान की वजह गोबी मरुस्थल को बताता रहा है। यह रेगिस्तान चीन के पश्चिमी-उत्तरी इलाके से लेकर इनर मंगोलिया तक फैला हुआ है, जहां तेज हवाओं के साथ रेत के बारीक कण उड़ते हुए सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा करते हैं। हालांकि, चीन के बारे में अमेरिका यह लगातार कहता रहा है कि इसकी वजह चीन खुद भी है। दरअसल, अस्सी के दशक से चीन में औद्योगिकीकरण में तेजी आई। चीन में जंगल काटकर कारखाने बने। ऐसे में रेगिस्तान से चली आंधी को रोकने का कोई जरिया नहीं रहा। साथ में इस धूलभरी हवा में चीन के कारखाने की प्रदूषित हवा भी मिलने लगी, जो और खतरनाक है।
4- इस पर स्टडी के नतीजे डराते हैं. इसके मुताबिक चीन की धूल में सिलिकान की मात्रा 24 से 32 फीसद तक होती है। इसके अलावा एलुमीनियम, कैल्शियम, मर्करी और कैडियम जैसे खतरनाक तत्व होते हैं। यह फेफड़ों से जुड़ी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकते है। इससे लंग टिश्यू के मरने और लंग कैंसर जैसी बीमारियां भी बढ़ी हैं। धूल के कण छोटे से लेकर काफी छोटे भी होते हैं। ये सीधे खून में मिलकर गर्भ में शिशु को भी गंभीर विकृतियां दे सकते हैं।