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ब्रिटेन ने ईयू पर बढ़ाया दबाव, कहा- 15 अक्टूबर तक समझौता हुआ तो ठीक अन्‍यथा ब्रेक्जिट पर करेंगे अमल

ब्रिटेन ने यूरोपीय यूनियन के साथ व्यापार समझौते के लिए मंगलवार से शुरू हो रही वार्ता से पहले दबाव बढ़ा दिया है। जानें ब्रिटेन ने क्‍या कहा है...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 08 Sep 2020 06:01 AM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2020 06:01 AM (IST)
ब्रिटेन ने ईयू पर बढ़ाया दबाव, कहा- 15 अक्टूबर तक समझौता हुआ तो ठीक अन्‍यथा ब्रेक्जिट पर करेंगे अमल
ब्रिटेन ने ईयू पर बढ़ाया दबाव, कहा- 15 अक्टूबर तक समझौता हुआ तो ठीक अन्‍यथा ब्रेक्जिट पर करेंगे अमल

लंदन, रायटर। यूरोपीय यूनियन (European Union, EU) के साथ व्यापार समझौते के लिए मंगलवार से शुरू हो रही वार्ता से पहले ब्रिटेन ने दबाव बढ़ा दिया है। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की ओर से संकेत दिया गया है कि 15 अक्टूबर तक समझौता होता है तो ठीक, अन्यथा ब्रिटेन बिना समझौते के ब्रेक्जिट (अलगाव) पर अमल करेगा और अपने अनुसार व्यापार शर्ते लागू करेगा। ब्रिटेन ईयू के साथ मुक्त व्यापार समझौते की मांग कर रहा है।

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ब्रिटेन 31 जनवरी को ईयू से अलग हो चुका है लेकिन ईयू के साथ पुरानी व्यवस्था के अनुसार उसका व्यापार 31 दिसंबर तक चलना है। इस बीच दोनों पक्षों को नया व्यापार समझौता करना है। लेकिन शर्तों को लेकर ब्रिटेन और ईयू में सहमति नहीं बन पा रही है। ब्रिटेन शासित उत्तरी आयरलैंड का मामला उसमें बड़ा गतिरोध साबित हो रहा है। ईयू जहां उसके लिए विशेष प्रावधान की मांग कर रहा है, वहीं ब्रिटेन वहां की व्यवस्था को खुद के साथ जोड़ने के लिए कह रहा है।

जॉनसन सरकार के ताजा रुख को ईयू कूटनीतिक कोविड महामारी से उत्पन्न प्रभाव मान रहे हैं। वे (Prime Minister Boris Johnson) मान रहे हैं कि ब्रिटेन महामारी का दुष्प्रभाव झेल रहे यूरोप को किसी तरह की रियायत नहीं देना चाह रहा है। इसी के चलते अब ब्रिटेन बिना शर्त ब्रेक्जिट की तैयारी कर रहा है। वह वार्ता विफल होने का ठीकरा ईयू (European Union, EU) के सिर फोड़कर उससे निकल जाना चाहता है।

बीते दिनों ब्रिटेन की ओर से मुख्य वार्ताकार डेविड फ्रॉस्ट ने कहा था कि समझौते को लेकर हमारी बातों को ईयू गंभीरता से नहीं ले रहा। वहीं यूरोपियन कमीशन (European Commission) की प्रमुख उर्सला वॉन डियर लिएन ने कहा है कि उन्हें विश्वास है कि ब्रिटेन पूर्व में तय अलगाव की शर्तों का सम्मान करेगा और ईयू के साथ व्यापार समझौता करेगा। अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत यह उसकी जिम्मेदारी भी है। भविष्य में होने वाले समझौतों के लिए पुरानी बातों का सम्मान करना जरूरी है।


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