अविश्वास प्रस्ताव जीतीं टेरीजा मे अब आएगा नया मसौदा, विभिन्न राजनीतिक दलों से कर रही चर्चा
ब्रेक्जिट को लेकर टेरीजा मे ने यूरोपीय अधिकारियों के साथ जो समझौता किया था, उसे मंजूरी दिलवाने वे संसद गईं और संसद ने उस समझौते को सिरे से खारिज कर दिया।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने की प्रक्रिया को सिरे चढ़ाने को लेकर ब्रिटेन में राजनीतिक सरगर्मियां जोरों पर हैं। ब्रेक्जिट को लेकर टेरीजा मे ने यूरोपीय अधिकारियों के साथ जो समझौता किया था, उसे मंजूरी दिलवाने वे संसद गईं और संसद ने उस समझौते को सिरे से खारिज कर दिया। समझौते के पक्ष में हाउस ऑफ कॉमंस में 202 वोट आए तो 432 सांसदों ने इसका विरोध किया।
ब्रिटेन के संसदीय इतिहास में कभी भी कोई सरकार इतने बड़े अंतर से नहीं हारी। टेरीजा मे की मुश्किलों का अंत यहीं नहीं हुआ, इस ऐतिहासिक हार के बाद विपक्षी लेबर पार्टी ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी पेश किया। बहुत कम अंतर से वे अविश्वास प्रस्ताव जीत गईं, लेकिन इन घटनाओं से यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने की डेडलाइन 29 मार्च, 2019 आगे खिसक सकती है। अब प्रधानमंत्री विभिन्न राजनीतिक दलों से बात कर रही हैं और जल्द ही दूसरा मसौदा पेश करेंगी।
क्या है ब्रेक्जिट और यूरोपीय संघ
ब्रिटिश एक्जिट (ब्रिटेन का बाहर होना) का संक्षिप्त रूप ब्रेक्जिट है। यूरोपीय संघ (ईयू) 28 देशों का एक ऐसा संघ है जिसमें सभी देश एक दूसरे से कारोबार करते हैं और किसी के नागरिक को कहीं भी बसने और काम करने की सहूलियत है। दुनिया की 7.3 फीसद आबादी और करीब एक चौथाई जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी है। 1973 में ब्रिटेन इसका सदस्य बना था।
क्यों अलग हो रहा ब्रिटेन
23 जून, 2016 को ब्रिटेन में कराए गए एक जनमत में पूछा गया कि क्या ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से अलग हो जाना चाहिए या फिर बने रहना चाहिए। 52 फीसद लोगों ने अलग होने की बात कही और 48 फीसद ने बने रहने पर हामी भरी।
कानून और मतभेद
- ब्रेक्जिट के बाद भी ब्रिटेन को यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस की बात माननी होगी।
- इस समझौते में उपजे किसी विवाद को सुलझाने के लिए ईयू-यूके संयुक्त समिति का गठन करना होगा।
- ब्रेक्जिट के तहत ब्रिटेन को यूरोपियन एटॉमिक एनर्जी कम्युनिटी की सदस्यता छोड़नी होगी।
तैयार हुआ समझौता
- ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के बीच अलगाव के लिए लंबी बातचीत प्रक्रिया चली। इसके बाद अलगाव समझौता तैयार किया गया। समझौते के प्रमुख बिंदु इस प्रकार रहे।
- भागीदारी समझौता तोड़ने के लिए ईयू को ब्रिटेन करीब 39 अरब पौंड की रकम चुकाएगा।
- ब्रेक्जिट के बाद जो जहां रह रहे हैं उनकी नागरिकता बरकरार रहेगी और उनके अधिकार में किसी प्रकार का बदलाव नहीं होगा।
- अलगाव प्रक्रिया के दौरान ब्रिटेन या यूरोप का कोई भी नागरिक कहीं पर जाकर रह सकता है।
- ब्रिटेन की सीमा में यूरोपीय देशों को मछली पकड़ने के लिए नए समझौते कर अमल करने होंगे।
सर्वाधिक विरोध
आयरलैंड की सीमा को लेकर सर्वाधिक विवाद है। समझौते में इसे आइरिश बैकस्टॉप कहा गया है। ईयू और यूके दोनों ही सीमा पर मौजूद गार्ड पोस्ट एंड चेक्स को हटाने से बचना चाहते हैं। जिसे डील में शामिल किया गया है। इसका मतलब यह हुआ कि उत्तरी आयरलैंड (शेष ब्रिटेन नहीं) को खाद्य पदार्थों जैसे कुछ मसलों के लिए अलगाव के बाद भी यूरोपीय संघ के नियमों का पालन करना होगा। इसी बात को लेकर कुछ सांसदों की नाराजगी है कि यूके बिना यूरोपीय संघ की अनुमति के इसे खत्म नहीं कर सकेगा। लिहाजा कई सामानों के लिए ईयू के कानून लागू रहेंगे।
दुनिया पर असर
यूरोपीय देश पर: कई मोर्चे पर नुकसान झेलना पड़ेगा। ब्रिटेन का आधा निर्यात ईयू को होता है। करीब आधा आयात वह इस संघ के अन्य 27 देशों से करता है। संघ का अभी तक सबसे बड़ा और ताकतवर देश था। बड़े वैश्विक मामलों पर समूह की अगुआई करता था। इसके अलग होने पर सभी ईयू देशों को दिक्कत होगी।
शेष विश्व पर: ब्रिटेन दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अलगाव से विश्व के बाजारों में हलचल होगी। उनमें गिरावट आएगी जो किसी भी देश के बाजार को प्रभावित करेगी।