Move to Jagran APP

ब्लड कैंसर का मिलेगा नया इलाज, लिंफोमा रोगियों के खास सेल के जीन में पहचाना गया म्यूटेशन

लिंफोमा नामक ब्लड कैंसर का जल्द ही एक नया इलाज मिल सकता है। इस दिशा में लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी मेमोरियल स्लोआन केटरिंग कैंसर सेंटर (एमएसके) न्यूयार्क और डाना फार्बर कैंसर इंस्टीट्यूट बोस्टन द्वारा किए जा रहे शोध के सकारात्मक परिणाम मिले हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 09:30 PM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 01:08 AM (IST)
ब्लड कैंसर का मिलेगा नया इलाज, लिंफोमा रोगियों के खास सेल के जीन में पहचाना गया म्यूटेशन
लिंफोमा नामक ब्लड कैंसर का जल्द ही एक नया इलाज मिल सकता है।

लंदन, एएनआइ। लिंफोमा नामक ब्लड कैंसर का जल्द ही एक नया इलाज मिल सकता है। इस दिशा में लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी, मेमोरियल स्लोआन केटरिंग कैंसर सेंटर (एमएसके), न्यूयार्क और डाना फार्बर कैंसर इंस्टीट्यूट, बोस्टन द्वारा किए जा रहे शोध के सकारात्मक परिणाम मिले हैं। इस शोध परियोजना का मुख्य लक्ष्य यह था कि लिंफोमा कोशिकाओं को मारने के लिए एक विशिष्ट प्रोटीन केडीएम5 को किस प्रकार से निशाना बनाया जाए।

loksabha election banner

म्यूटेशन से बढ़ती है बीमारी

बता दें कि लिंफोमा नामक ब्लड कैंसर व्हाइट ब्लड सेल्स (डब्ल्यूबीसी), जिसे लिंफोसाइट्स कहते हैं- के बढ़ने से होता है। इसके जीनेटिक कोड में बदलाव (म्यूटेशन) से लिंफोसाइट्स अनियंत्रित रूप से बढ़ता है, जिसके कारण डब्ल्यूबीसी लिंफनोड्स और अन्य ऊतकों में जमा होने लगता है। इसी से लिंफोमा की स्थिति बनती है। मुख्यतौर पर लिंफोमा दो प्रकार का होता है : हाजकिंस और नान-हाजकिंस लिंफोमा (एनएचएल), जिसके 60 से ज्यादा उप प्रकार होते हैं।

केएमटी-2डी जीन बदलाव

शोध में पाया गया है कि लिंफोमा के अनेक रोगियों में केएमटी-2डी जीन में एक या उससे अधिक म्यूटेशन होते हैं। केएमटी2डी नामक यह जीन कोड उस प्रोटीन के लिए होता है, जिससे कि सेल के भीतर जीन की अभिव्यक्ति नियंत्रित होती है लेकिन म्यूटेशन के कारण केएमटी2डी सही तरीके से काम नहीं कर पाता है, जिससे कि सामान्य सेल फंक्शन के लिए जरूरी जीन अभिव्यक्ति में बदलाव आ जाता है। यह बदलाव लिंफोमा के अधिकांश रोगियों में देखने को मिलता है।

म्यूटेशन पर इस तरह लगेगी लगाम

हालिया प्रयोग के आधार पर शोधकर्ताओं का मानना है कि केडीएम5 प्रोटीन, जो केएमटी2डी के खिलाफ काम करता है, उसके फंक्शन को यदि नियंत्रित किया जा सके तो केएमटी2डी में होने वाले म्यूटेशन के असर को पलटा जा सकता है, जिससे लिंफोमा सेल्स को मारा जा सकता है। शोधकर्ताओं ने प्री-क्लिनिकल माडल में केएमटी-2डी म्यूटेशन को पलटने के लिए केडीएम5 को रोकने का तरीका खोज लिया है। उन्होंने बताया कि केएमटी2डी म्यूटेशन तथा केडीएम5-इन्हीबिशन की पहचान से नान-हाजकिंस लिंफोमा का नया इलाज मिल सकता है।

5-20 प्रतिशत ही म्‍यूटेशन

यह भी पाया गया है कि कुछ प्रकार के लिंफोमा में केएमटी2डी म्यूटेशन सिर्फ 5-20 प्रतिशत ही पाया जाता है, लेकिन उसके एक उप प्रकार फालिकुलर लिंफोमा में यह 80 प्रतिशत तक होता है। ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोप में यह बहुत ही सामान्य है।

कैंसर रोगियों को संजीवनी 

शोधकर्ता अब इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या केडीएम-5 को निशाना बनाकर लिंफोमा के अनेक उप प्रकारों का इलाज किया जा सकता है। चूंकि केएमटी-2डी और उससे जुड़े जीन में म्यूटेशन कई अन्य प्रकार के कैंसर में देखे जाते हैं, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि केडीएम5 को निशाना बनाने से कई प्रकार के कैंसर रोगियों को फायदा हो सकता है। आगे के प्रयोगों में यदि यह परिणाम मिलता है कि केडीएम5 के जरिये केएमटी2डी के म्यूटेशन के प्रभाव को शून्य किया जा सकता है तो यह एप्रोच लिंफोमा का नया इलाज उपलब्ध करा सकता है।

इलाज के लिए नए तरीकों पर हों काम

इसके साथ ही शोधकर्ता लिंफोसाइट्स में भी केएमटी2डी म्यूटेशन के प्रभाव को समझने की कोशिश कर रहे हैं ताकि अन्य ऐसे मालीक्यूल की पहचान की जा सके, जिसका दवा के रूप में इस्तेमाल हो। एमएसके में कैंसर बायोलाजी एंड जीनेटिक्स प्रोग्राम के प्रोफेसर डाक्टर वेंडेल ने बताया कि यह वक्त का तकाजा है कि ताजा शोध में सामने आए निष्कर्षों को लिंफोमा के इलाज के लिए नए तरीके विकसित करने में इस्तेमाल किया जाए। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.