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बांग्लादेश के तटरक्षकों ने नाव के खराब होने से 122 रोहिंग्या को डूबने से बचाया

बांग्लादेश के तटरक्षक बल ने बंगाल की खाड़ी में रोहिंग्या समुदाय के 122 लोगों को डूबने से बचा लिया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 09:53 PM (IST)Updated: Fri, 15 Nov 2019 10:05 PM (IST)
बांग्लादेश के तटरक्षकों ने नाव के खराब होने से 122 रोहिंग्या को डूबने से बचाया
बांग्लादेश के तटरक्षकों ने नाव के खराब होने से 122 रोहिंग्या को डूबने से बचाया

 ढाका, रायटर। बांग्लादेश के तटरक्षक बल ने बंगाल की खाड़ी में रोहिंग्या समुदाय के 122 लोगों को डूबने से बचा लिया। ये लोग पुरानी नौका में सवार होकर अवैध रूप से मलेशिया जा रहे थे। तटरक्षक अधिकारी लेफ्टिनेंट कमांडर सैफुल इस्लाम ने बताया कि नाव के खराब होने की सूचना मिलते ही गुरुवार को गश्ती दल मौके पर पहुंचा और लोगों को सुरक्षित निकाल लिया।

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इस नौका पर 47 पुरुष, 58 महिलाएं और 17 बच्चे सवार थे। बांग्लादेश के सुरक्षाकर्मी इस साल पांच सौ से ज्यादा शरणार्थियों को बचा चुके हैं। मानव तस्करी के शिकार रोहिंग्या आए दिन अवैध तरीके से मलेशिया और थाइलैंड में घुसने की फिराक में रहते हैं। मलेशिया जाकर बसने वाले रोहिंग्या मुसलमानों की तादाद एक लाख से ज्यादा हो चुकी है। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी का कहना है कि दो साल तक कमी आने के बाद रोहिंग्या मुस्लिमों का पलायन फिर बढ़ गया है। 

ज्‍यादातर रोहिंग्या अपने देश जाने के लिए राजी नहीं 

रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार वापस भेजने के लिए अगस्‍त के महीने में पांच बसें और दस ट्रक बांग्लादेश के टेकनाफ शरणार्थी शिविर पहुंचे, लेकिन एक भी रोहिंग्या परिवार म्यांमार जाने को राजी नहीं हुआ। इससे पहले पिछले साल नवंबर में भी शरणार्थियों को वापस भेजने की कोशिश विफल रही थी। बांग्लादेश में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों में म्यांमार में सुरक्षा और नागरिकता को लेकर संशय बरकरार है।

वर्ष 2017 में म्यांमार के रखाइन प्रांत में सैन्य कार्रवाई से बचने के लिए लाखों रोहिंग्या मुसलमान पड़ोसी देश बांग्लादेश आ गए थे। तब से उनकी सुरक्षित वापसी को लेकर कई बार प्रयास किए जा चुके हैं। म्यांमार के शीर्ष अधिकारियों ने हाल में बांग्लादेश आकर शरणार्थियों को वापस लेने का आश्वासन भी दिया था। रोहिंग्या विस्थापन मुद्दे पर नजर रख रहे संयुक्त राष्ट्र (UN) ने बुधवार को कहा था कि शरणार्थियों की वापसी उनकी इच्छा से होनी चाहिए।


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