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यूएन में बलूचिस्तान ने उठाई आवाज, कहा- पाकिस्तान में खतरे में है बलूच लोगों की संस्कृति, भाषा और पहचान

मेंगल ने डॉन न्यूज की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि बलूचिस्तान में 36 लाख स्कूल जाने वाले योग्य बच्चों में से 23 लाख ने आज तक स्कूल का मुंह नहीं देखा है। 13 हजार से अधिक स्कूलों में से नौ हजार में पीने योग्य पानी शौचालय नहीं।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sat, 03 Oct 2020 12:23 PM (IST)Updated: Sat, 03 Oct 2020 12:23 PM (IST)
यूएन में बलूचिस्तान ने उठाई आवाज, कहा- पाकिस्तान में खतरे में है बलूच लोगों की संस्कृति, भाषा और पहचान
पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों के खिलाफ बलूच लोग।

जेनेवा, एजेंसी। पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों के चलते बलूच लोगों की संस्कृति, भाषषा और पहचान खतरे में है। यह बात बलूच वॉयस एसोसिएशन के अध्यक्ष मुनीर मेंगल ने गुरूवार को संयुक्त राष्ट्र में कही। उन्होंने कहा कि एक तरफ सैन्य अभियानों के चलते बलूच विस्थापन का सामना कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ उन्हें अपने संस्कृति और परंपराओं से वंचित कर दिया गया है। धीरे-धीरे वह अपनी पहचान खोते जा रहे हैं।

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मेंगल ने डॉन न्यूज की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि बलूचिस्तान में 36 लाख स्कूल जाने वाले योग्य बच्चों में से 23 लाख ने आज तक विद्यालय का मुंह नहीं देखा है। साथ ही क्षेत्र में स्थित 13 हजार से अधिक स्कूलों में से नौ हजार में पीने योग्य पानी और शौचालय नहीं है। उन्होंने बलूच पीपुल्स कांग्रेस का हवाला देते हुए कहा कि बलूचों को अपनी पहचान से अलग करने की साजिश चरम पर है। प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक पैकेज की घोषषणा करते हुए इस क्षेत्र को 'दक्षिणी बलूचिस्तान' का नाम दिया है।


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