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आस्ट्रेलियाई कोर्ट का फैसला, फेसबुक पर टिप्पणियों के लिए मीडिया जिम्मेदार

आस्ट्रेलिया के कुछ बड़ी मीडिया कंपनियों फेयरफैक्स मीडिया पब्लिकेशंस नेशनवाइड न्यूज व आस्ट्रेलियन न्यूज चैनल की दलीलों को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा मीडिया को फेसबु कमेंट्स के लिए जिम्मेदार बताया ओर कहा कि वे टिप्पणियों की प्रकाशक हैं।

By Monika MinalEdited By: Published: Thu, 09 Sep 2021 02:43 AM (IST)Updated: Thu, 09 Sep 2021 02:55 AM (IST)
आस्ट्रेलियाई कोर्ट का फैसला, फेसबुक पर टिप्पणियों के लिए मीडिया जिम्मेदार
आस्ट्रेलियाई कोर्ट का फैसला, फेसबुक पर टिप्पणियों के लिए मीडिया जिम्मेदार

कैनबरा, एपी। आस्ट्रेलिया की शीर्ष अदालत ने बुधवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि मीडिया कंपनियां उनके आधिकारिक फेसबुक पेज पर तीसरे पक्षों द्वारा लिखी गई टिप्पणियों के लिए जिम्मेदार हैं। हाई कोर्ट ने इस बारे में आस्ट्रेलिया के कुछ बड़ी मीडिया कंपनियों फेयरफैक्स मीडिया पब्लिकेशंस, नेशनवाइड न्यूज व आस्ट्रेलियन न्यूज चैनल की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि वे टिप्पणियों की प्रकाशक हैं।

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अदालत ने मीडिया कंपनियों के खिलाफ 5-2 से फैसला सुनाते हुए कहा कि उन्होंने इन टिप्पणियों को प्रोत्साहन दिया और वे पूरी बातचीत में शामिल रहीं। इस फैसले के बाद पूर्व में हिरासत में लिया गया याचिकाकर्ता नाबालिग मीडिया संगठनों के खिलाफ अवमानना का मामला चला सकता है।

नाबालिग डायलन वोलर (Dylan Voller) ने द सिडनी मार्निग हेरल्ड, द आस्ट्रेलियन, सेंट्रेलियन एडवोकेट, स्काई न्यूज आस्ट्रेलिया व द बोल्ट रिपोर्ट जैसे टेलीविजन प्रसारकों तथा समाचार पत्रों के फेसबुक पेजों पर टिप्पणियों के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने की अपील की थी। इस बारे में फेसबुक ने फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की है।

दरअसल वर्ष 2016 में एक किशोर डायलन वोलर के साथ हिरासत में हुए बुरे बर्ताव को एक टीवी रिपोर्ट में दिखाया गया था। जंजीरों में बंधे युवक और उस पर थूके जाने जैसी तस्वीरें खबरों में दिखाई गई थीं। इसके बाद देश में काफी हंगामा हुआ और किशोर कैदियों के साथ बर्ताव की जांच की गई। इस मामले को लेकर मीडिया में खूब खबरें और आलेख प्रकाशित हुए जिसे सोशल मीडिया पर भी शेयर किया गया। 2017 में वोलर को रिहाई मिली और उन्होंने मीडिया के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया।

करीब चार साल चली इस कानूनी लड़ाई में मीडिया कंपनियों की ओर से तर्क दिया गया कि वे सोशल मीडिया पर आई टिप्पणियों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं क्योंकि पाठकों द्वारा लिखी गई सामग्री की प्रकाशक कंपनियां नहीं हैं। मीडिया कंपनियों ने कहा कि प्रकाशन से पहले कंटेंट को देखना जरूरी होता है।


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